Book Title: Kisan Bavni
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 3
________________ है। कुमति परन परहरन तरन तज, कसन सरन कज सरन गहत है॥३॥ सिदि बुद्धि लायक विधायक विवि धरिदि, वायक सरस वर दायक बरसति॥अगम निगम अवगमन सुगम होत,अगम उद्योत ज्योति परम परस ति ॥ गंजन अगंजनकी नंजन गंनीर नीर, अंजन ज्यों रं जन निरंजन दरसति ॥ संतनि सुहाई नाई याहितें कहा ईआई, किसन सहाई माई सेईये सरसति ॥ ४ ॥ धंध दीमें धायो पै न धायो है धरमरुख, पायो दुःख . पै न पायो सुख पायबो ॥ गायो जान आन पै न गायो जगवान नान, थायो जो न झान कहा नर योनि आयबो ॥ मनमें न मायो अंध काह न न मायो कंध, किसन परैगो खरे तांद पबितायबो॥ यापहीको नायो नायो पापको नपायो पायो, बांधि मूती आयो पै पसारे हाथ जायबो॥५॥अरथ न था वै रथ, अरथ गरथ पथ रखत तखत राज साज बाज शासना ॥ काढू योनि जैबो पूंजी पाखे कहा खैबो, ता तें तैसो तैसो लैबो जातें व्है न तोहि त्रासना॥याज लों अचेत रह्यो किसन न हेत लह्यो, मान अों क ह्यो कर सुगुरु तपासना ॥ बिन बिन बीजे आई देह क जु देह पाई, बासन बिलाई जाई रहे जाई बासना ॥६॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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