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(१५) रामनामके ॥ में पतिततें पतित पावन किसान प्रनु, न यो हुँतो पतित नरोंसो नाथ नामके ॥३६॥ ढोयोनी च घर हरचंद वर वार नीर, मोलै रघु वीरसे ससीत शी त घाममें ॥ नयो फुःख नागी नल संग लागी त्यागी त्रि य, मुंजसे सनागी नीख मांगी रिपु घाममें ॥ ऐसे ऐसे किसन अनेक नेक नरनको, गयो है सो जनम तमाम इतमाममें ॥ गोते खात गज तहां गामरको कौन गजो, अरै नर बोरे तुंतो कुचके मुकाममें ॥ ३७ ॥ निसाको प्रनंज दिस दिसतें परिद पुंज, जैसे कान कुंज मुनि वा स लेत जसै है ॥होतहिं सकारे जात जात न्यारे न्यारे अरु, प्यारे दु किसन याहि रीति रंग रसै है॥याएही कही दाना पानीके सबब सब, जाहिंगे कहांही याही प्रेम फंद फसे है ॥योग रु वियोगको न कीजिये हरख सोग, पादुनेते घर वसै काके घर बसे है ॥ ३० ॥ तर ल कबान लोधी रयो ताक तान बान, देखत सिंचान उम जात असमान जू ॥ दुःखित कपोतं पोत जानि कुःख श्रोतपोत, समस्यो किसन सामी करुना निधान जू ॥व्या धी है मंस्यो अचान व्याल विकराल आन, लग्यो बूटी बान लूटे बाजदुके प्रानजू ॥ कहा करै हाल क्रम काल अमजाल व्यास,जोपै रहपाल प्रतिपाल नगवान जू॥३॥
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