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( १६ ) हाथ चढे चिढं कांध रे॥ केती जिंदगानी जापे एती से अनीत गनी, अजौ पानी पहिले गुमानी पालि बांध रे ॥४॥ रूठा जम राना नाना काया कमाना जब,क ठे ह्यांते थाना कहुं करना पयाना है ॥ आगे जो विका ना सो तो मुलक बिराना तहां, गांठहीका खाना दाना बैठे तिन खाना है।तातें मन माना पूर करले खजाना अब, किसन सयाना जो तुं दाना मरदाना है ॥ परे म रियाना मरे चूहा व्है दिवाना जैसे, ऐसे अनजानाना च नाच मरजाना है ॥५॥ लसुनके लिये न्यारी खात कसतूरी मारी, अंबरकी क्यारी बारी चंदन करेबेकी॥ह रख नरानी नरि कंचन कलस रानी, सिंच्यो इंदसानी पा नी गंगाहीको देवेकी॥ दई खुशबोही त्यों त्यों चढ्यो ब दबोई होई, नूलेढुं न करे को श्वा बोई लेवेक॥हाहा रो उपाय करो किसन उपाय दाय, प्रान क्यों न जाय पर प्रकृति न जैवेकी ॥५१॥ वार वार करत पुकार घरि यार यार, होश दुसियार बिसियार सुख पायगो ॥ गई है बहुत आश् रहि है बहुत बाइ, गाफिल गमाई है गमार मार खायगो ॥ खाक हिये खाक होइ रहि है किसन खाक, खाकको खमीर अंत खाकमें समायगो। थापकों हंसायगो हंसायगो कहाके जाय, जंगल बसा
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