Book Title: Keshari Kevali Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 5
________________ सान्वय केशरी चरित्रं भाषांतर // 4 // // 4 // ' अर्थः-राजाना भयथी इरेला ते केशरीए पण परदेशमा जतां थकां थाकीने वनमा क्यांक निर्मल अने स्वादिष्ट जलथी भरेलु तळाव जोपु.॥७॥ अचोर्याहृतमाशक्तेन पयोऽपि पपे मया / अहो कार्य तदप्यद्य विग्धिग्दैवविपर्ययम् // 8 // इति ध्यायन्नयं तवं श्रान्तः कान्तारंपल्वले। चौरश्चक्रे पयःपानं 'स्नानं चं विदधेऽधिकम् // 9 // युग्मम्॥ ____ अन्वयः-आशक्तेः अचौर्य आहृतं पयः अपि मया न पपे, अहो! अद्य तत् अपि कार्य, दैव विपर्पयं विधिक् // 8 // इति ध्यायन् श्रांतः अयं चौरः तत्र. कांतार पल्बले पयः पानं चक्रे, च अधिकं स्नानं चके. // 9 // युग्मं // अर्थः-शक्ति होय त्यांसुधी चोरीथी नही मेळवेल जल पण में पीधुं नथी, अरे! आजे तेम पण करवू पडशे, माटे दैवना विपरीतपणाने धिक्कार छे! धिक्कार छे! // 8 // एम विचारतां थाकी जवाथी ते चोरे त्यां ते वनमा रहेला तळावमांथी जलपान कयु, तथा सारीरीते तेमां स्नान पण कयु.॥ 9 // युग्मं // / निःसृत्य स गतश्रान्तिरारोहपालिशालिनम् / क्षुधाकुलः फलस्यूततरं चूततरूं ततः // 10 // 4 अन्वयः-ततः गत श्रातिः सः निःसृत्य क्षुधा आकुलः पालि शालिनं, फल स्यूततरं चूत तरुं आरोहत् // 10 // ल अर्थः-पछी थाक उतर्याबाद ते त्यांथी निकळीने क्षुधातुर थवाथी ( ते तळावनी ) पाळपर रहेला तथा फलद्रुष थयेला आ बाना वृक्षपर चड्यो. // 10 // SHASHISHASHISHADASHI SARASSAGE PP.AC, Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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