Book Title: Keshari Kevali Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 7
________________ भाई, // 14 // माटे आ पादुकान चनामा समर्थ छे, केमके आ योगी 15 // युग्मं // केशरी० 18| तदेतच्चोरयामीति ध्यात्वोत्तीर्य द्रुतं द्रुमात् / पादुके पादयोः क्षिप्त्वा चौरोऽगाद्गगनाध्वना // 15 // युग्मं |5सान्धय चरित्रं वा अन्वयः-वेधि, अस्त्र इदं पादुका द्वंद्वं आकाश गतौ क्षम, यत् असौ इह एतत् मुक्त्वा पद्भ्यां एव जले अविशत्, // 14 // भाषांतर तत् एतत् चोरयामि, इति ध्यात्वा, द्रुतं द्रुमात् उत्तीर्य, पादुके पादयोः क्षिप्त्वा चौरः गगन अध्वना अगात् / / 15 // युग्मं // // 6 // अर्थः हुं एम धारं छु के, आनी आ बन्ने पावडीओ आकाशगमन करवामां समर्थ छे, केमके आ योगी अहीं ते पावडीओ मूकीने पगोवडेज जलमां दाखल थयो छे, // 14 // माटे आ पादुकाने चोरीलेड, एम विचारीने तुरत वृक्षपरथी उतरीने, तथा | पगमां ते पावडीओ पेहेरीने ते केशरीचोर आकाशमार्गे चाल्यो गयो. // 15 // युग्मं / / . स निर्गम्य दिनं क्वापि नक्तं तत्पादुकापदः। चिन्तासमानलमयं व्योम्ना धानि ययौ निजे // 16 // अन्वयः- सः चिंता समान समयं दिनं क अपि निर्गम्य, तत् पादुका पदः नक्तं व्योम्ना निजे धाम्नि ययौ. // 16 // अर्थः-पछो ते केशरी चिंतातुर समयवाळा ते दिवसने क्यांक वीताडीने, ते पावडीओ पगमा पहेरीने रात्रिए आकाशमार्गे पो8 ताने घेर गयो. // 16 // .. राज्ञे विज्ञप्य चौरं मां त्वं पुरान्निरकाशयः / इत्युक्त्वाताडयदण्डैः पितरं नितरामसौ // 17 // ___ अन्वयः-राज्ञे मां चौरं विज्ञप्य त्वं पुरात् निरकाशयः, इति उक्त्वा असौ दंडैः पितरं नितरां अताडयत् . // 17 // 81 अर्थः-राजापते मने चोरतरीके जाहेर करीने तें नगरमाथी देशनिकाल कराव्यो छे, एम कहीने ते केशरीए लाकडीओवडे NAGAR22%20-%948 P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhan Trust

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