Book Title: Keshari Kevali Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ सान्वय केशरी चरित्रं भाषांतर // 11 // // 11 // ॐॐॐॐॐ केनोत्सवेन केनेडचण्डीपूजाय कारिता / दत्तानि द्युतिदनेन्दुभांसि वासांसि केन ते // 32 // __ अन्वयः-अद्य केन उत्सवेन केन ईदृक् चंडी पूजा कारिता? द्युति दून इंदु भांसि वासांसि ते केन दत्तानि? // 32 // अर्थः-(त्यारे राजाए तेने पूज्यु के) आजे कया उत्सवमाटे? अने कोणे आवी चडिकानी पूजा करावी छे ? अने कांतिथी चंद्रना तेजने पण जीतनारां (आ) बस्त्रो तने कोणे आप्पां? // 32 // इति पृच्छति भूजानौ पूजाकारी जगाद सः। दुःस्थान्वयस्य मे स्वामिन्भक्त्या तुष्टाय चण्डिका // 33 // ___अन्वयः-इति भूजानौ पृच्छति सः पूजाकारी जगाद, हे स्वामिन् ! दुःस्थ अन्वयस्य मे भक्त्या अब चंडिका तुष्टा. // 33 // अर्थः-एरीते राजाए पूछवाथी ते पूजाराए कयं के, हे खामी! दरिद्र कुलमा जन्मेला एवा मारापते भक्तिथी हमणा चंडिका तुष्टमान थइ छे. // 33 // | प्रगे पूजार्थमायामि यदा नित्यं लभे तदा / देव्याः पादायवर्तीनि रत्नानि कनकानि च // 34 // ___अन्वयः-प्रगे यदा पूजार्थ आयामि, तदा नित्यं देव्याः पाद अग्र वर्तीनि रत्नानि च कनकानि लभे. // 34 // अर्थः-प्रभातमां ज्यारे पूजामाटे हुँ आq छु, त्यारे हमेशां आ देवीना चरणोपासे रहेला रत्नो तथा सोनाम्होरो मने मळे छे. एवं देवीं त्रिकालं तत्पूजयामि जयामि च / तत्प्रसादोत्थनिःशेषश्रीपूरः श्रीदमप्यहम् // 35 // अन्वयः-तत् एवं त्रिकालं देवीं पूजयामि, च तत् मसाद उत्थ निःशेष श्रीपुरः अहं श्रीदं अपि जयामि. // 35 // . >>ERSE Jun Gun Aaradhak Trust PP.AC.Gunratnasuri M.S.

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