Book Title: Keshari Kevali Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 19
________________ फेशरी | चरित्रं भाषांतर // 18 // // 18 // __अन्वयः-इतश्च भट भार भाक् भूपः तं हेतुं अन्वपतत्, इतश्च दत्त व्रत ध्वजः मरुत् वर्गः नंतुं आगात् // 54 // अर्थः-पछी एकतरफथी सुभटोनो समूह साथे लेइने राजा तेने मारवामाटे दोडी आव्यो, तथा बीजी तरफथी देवोनो समूह तेने धर्मध्वज आपीने वांदवा आव्यो. // 54 // सुरैः कृतं सुवर्णाब्जमासीने केशरिण्यथ / ते हन्तारोऽपि नन्तारो भूपप्रभृतयोऽभवन् // 55 // ___ अन्वयः-अथ केशरिणि सुरैः कृतं सुवर्ण अब्ज आसीने ते भूप प्रभृतयः हतारः अपि नंतारः अभवन्. // 55 // अर्थः-पछी ते केशरीनामना केवली भगवान् देवोए रचेला सुवर्णकमलपर बेठाबाद ते राजाआदिक हणनाराओ पण तेमने नमवावाळा थया. // 55 // दन्तांशुभिः सुभिक्षाणि कुर्वाणश्चन्द्ररोचिषाम् / स व्यधाद्देशनां पापतमसः पूर्णिमा मुनिः // 56 // अन्वयः-दंत अंशुभिः चंद्र रोचिषां सुभिक्षाणि कुर्वाणः सः मुनिः पाप्त तमसः पूर्णिमां देशनां व्यधात्. // 56 // अर्थः दांतोना किरणोवडे चंद्रना तेजोनो सुकाळ करनार ते मुनिराज पापोरूपी अंधकारनो (नाश करवा माटे, पूर्णिमासरखी धमदेशना आपवा लाग्या.।' 56 // क तत्ते चरितं नाथ व चायं केवलोदयः / इति क्षितिभृता पृष्टस्ततो व्याचष्ट केवली // 57 // वनमRAS CREAST PAC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradh

Loading...

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22