Book Title: Keshari Kevali Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ सान्वय केशरी० चरित्रं भाषांतर // 19 // अन्वयः-ततः (हे) नाथ ! ते तत् चरितं क ? च क अयं केवल उदयः? इति सितिभृता पृष्टः केवली व्याचष्टः॥ 57 // Kaa अर्थः-पछी हे स्वामी! आपर्नु ते आचरण क्या ? अने क्यां आ केवलज्ञाननी प्राप्ति ? एम राजाए पूछवाथी ते केवली भगवान कहेवा लाग्या के, // 57 // राजन्नाजन्म तत्तापापभाजोऽप्यभून्मम / श्रीरियं मुनिवाग्लब्धसामायिकमनोलयात् // 58 // ___ अन्वयः-(हे) राजन् ! आ जन्म तत् तादृक् पापभाजः अपि मम, मुनिवाक् लब्ध सामायिक मनः लयात् इयं श्रीः अभूत.॥ अर्थ:-हे स्वामी! छेक जन्मथी मांडीने तेवीरीतनां ते पापकार्यों करनारा एवा पण मने, मुनिमहाराजना वचनथी प्राप्त थयेला सामायिकरूप समभावमा मन लीन थवाथी, आ केवल ज्ञाननी लक्ष्मी मळी छे. // 58 // यद्वर्षकोटितपसामप्यच्छेयं तदप्यहो। कर्म निर्मुल्यते चित्तसमत्वेन क्षणादपि // 59 // -- अन्वयः-यत् कर्म वर्ष कोटि तपसां अपि अच्छेचं, तत् अपि अहो! चित्त समत्वेन क्षणात् अपि निर्मूल्यते // 59 // अर्थ:-जे कर्म क्रोडोगमे वर्षोना तपथी पण छेदाय नही, ते कर्म पण अहो! मननी समताथी क्षणवारमांज मूळमाथी छेदाइ जाय छे. // 59 // इति श्रुत्वा प्रमुदितो जगाम नगरी नृपः / बोधयन्वसुधां सोऽपि विजहार महामुनिः // 60 // - अन्वयः-इति श्रुत्वा ममुदितः नृपः नगरी जगाम, सः महामुनिः अपि वसुधां बोधयन् विजहार. // 6 // . 555455ARE PP.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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