Book Title: Keshari Kevali Charitram Author(s): Vardhamansuri Publisher: Shravak Hiralal Hansraj View full book textPage 4
________________ केशरी चरित्रं सान्वय भाषांतर अन्वयः-तथाहि कामपुरे पुरे शत्रु लोक अहि बर्हणः, क्षीण लोक गहणः, विजयो नाम धर्मी भूपः अभूत . // 4 // अर्थः-ते केशरीचोरनु उदाहरण कहे छ-कामपुरनामना नगरमां शत्रुओरूपी सोनो (नाश करवामां ) मयूरसरखो, तथा लोl को तरफनी निंदाविनानो विजयनामनो धर्मिष्ट राजा हतो. // 4 // तं श्रेष्ठी सिंहदत्ताख्यो नत्वाचख्यो कदाचन / केशरी नाम मे स्वामिन्पुत्रोऽभचौयभरिति // 5 // ... अन्वयः-कदाचन सिंहदत्त आख्यः श्रेष्ठी तं नत्वा इति आचख्यौ, (हे) स्वामिन् ! केशरी नाम मे पुत्रः चौर्यभूः अभूत. अर्थ:-एक दिवसे सिंहदत्तनामना शेठे ते राजाने नमीने एम कडं के हे स्वामी! केशरीनामनो मारो पुत्र चोरी करवामां आसक्त थयेलो छे. // 5 // अथ स्थास्यसि मदभूमो यदि तद्वध्य एव मे / इति केशरिणं देशान्नरेशो निरकाशयत // 6 // ___ अन्वयः-अथ यदि मद् भूमौ स्थास्यसि, तत् मे वध्यः एव, इति नरेशः देशात् केशरिणं निरकाशयत् // 6 // अर्थः-हवे जो मारी भूमिमां तुं रहेशे, तो हुं तने मारीज नाखीश, एम (कहीने) राजाए (पोताना) देशमाथी ते केशरीने कहाडी मेल्यो. // 6 // सोऽपि भूपभयाक्रान्तः श्रान्तो देशान्तरं व्रजन् / काप्यपश्यद्वने स्वच्छशीतस्वादुरसं सरः // 7 // अन्वयः-भूप भय आक्रांतः सः अपि देशांतरं व्रजन् श्रांतः वने क्व अपि स्वच्छ स्वादु रसं सरः अपश्यत् . // 7 // EASES4 PP.AC.Gunratnasuri M.S., Jun Gun Aaradhak TrustPage Navigation
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