Book Title: Karmvipak athwa Jambu Prucchano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ दिये मुनिने गाल || कृपा०॥३॥ जीहो रातुं अंग रो म उज्ज्वलां, लाला पांपण जेहनी श्वेत॥ जोहो पिंगल नर ते नांखिया, लाला कवण कर्मनो हेत ॥ कृपा॥४ ॥जीहो चैत्य सूरज सन्मुख सदा, लाला जे करे लघु वड नीत ॥ जीहो तेणे पापे करी प्राणीया, लाला पिंगला धरजो चित ॥ कृपा ॥५॥ जीहो धोलो पीलो रातलो, लाला नानाविध परमेह ॥ जीहो करणी तेहनी कोण लहे, लाला धातु क्षीण होय देह ॥ कृपा ॥ ६॥जीहो सूत्र रजत कंचन त्रंबु, लाला हीरा विद्युम जेह ।। जीहो धातु सकल चोरी ग्रहे, लाला बहु मूत्रता निःसंदेह ॥ कृपा ॥७॥जीहो सूकर कूकर गर्दना, लाला कूकड महिष मांजार ।। जीहो काक उलूक अहि वृश्चिका, लाला कहो कोण पाप प्रकार ॥ कृपा ॥ ॥ ज़ीहो दान दया तप व्रत नही, लाला यात्र न पर नपकार ॥ जीहो रात्रिनोजन जे करे, लाला तेहथी ए अवतार ॥ कृपा ।। ए ॥ जोहो चंग कुशीला कर्कशा, लाला कलह करे दिन रात ॥ जीहो रूप कुरूप काली घणुं, लाला नेशलंकी सुविख्यात ॥ कृपा ॥१०॥ जीहो धूकखर खरगामिनी, लाला माथे बाबरवाल । जीहो क्रोधमुखी बडबड करे, लाला दांत जिस्या कोदायिः ।। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50