Book Title: Kalyan Kalika Part 1
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

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Page 7
________________ दीबसे जालोरमां दीक्षा, वि. स. १९९४ ना मागसर सुद ११ ना दीवसे अमदावाद विद्याशालामां गणिपद अने पन्यास पद अने वि. स. २०३१ ना अपाड सुद १३ ना दीवसे जालोरमां कालधर्म. आयुष्य ८७ वर्ष दीक्षा पर्याय ६८ वर्ष. आपणे त्यां पू. पुण्यविजयजी महाराज साहेबने प्राचीन ग्रंथोना सशोधकना विषयमा विशिष्ट मानबामां आवे छे. परतु तेमने में हठीभाइनी वाडी अमदावादमां कलाकाना कलाका सुधी पू. पन्यासजी म. नी प्रेरणा लेता जोया छे. आगमादि ग्रथोनु तेओ विशिष्ट ज्ञान धरावता हता. तेना पुरावारुपे प्रबन्धपारिजात ग्रंथ के जे प्रथमां निशीथ महानिशीथ जेवा छेद ग्रंथानु तेमना हाथे खुबज अन्वेषण थयुछे. सेंकडो वर्ष थी जैन समाजने के तेना विद्वान मुनिओने पण माहीति न होय तेवी विगतो तेमणे पट्टावली अने निबंध निचयग्रथ द्वारा पुरी पाडी छे. कल्याण कलिका भाग १-२ विधिविधान, ज्योतिष अने प्राचीनशिल्पनु अनेक ग्रंथी द्वारा तेमां दोहन छे. आ उपरांत मानव भोज्य मिमांसा पंडित माघ विगेरे घणा ग्रथा एवा लया छे के भारतभरना विशिष्ट विद्वानाने तेमणे तेमना ज्ञान द्वारा आकर्ष्या छे श्रमण भगवान महावीर अने वीरनिर्वाणसवत और जैन काल गणना आ ग्रंथनु निर्माण तो भारतभरना इतिहासज्ञोने नतमस्तक बनावे तेवो तेनी पोछळना तेमना परिश्रम छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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