Book Title: Kalyan Kalika Part 1 Author(s): Kalyanvijay Gani Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor View full book textPage 4
________________ आभार प्रदर्शन पू. पं. कल्याणविजयजी गणिवरना शिष्य मुनिश्री मुक्तिविजयजी महाराज साहेब पाताना पू. गुरुमहाराज द्वारा निर्मित थयेल बधां कार्यानी सारस भार अने प्रगति करी रह्या छे. __ पू. पन्यासजी महाराजे आर भेल कार्य तेमणे तेमना नदीश्वर तीर्थ निर्वाण बाद पुरेपुरी दीर्घ दृष्टि राखी गुरु महाराजनी योजना मुजब पूर्ण करावेल छे. तेमज सुंदर अनुपम तीर्थस्तभ आजे जे जालोरमां दिगतकीर्ति फेलावे छे ते तेमना परिश्रमनु परिणाम छे. नदीश्वर तीर्थमां महा सुद ६ ना रोज दरवर्षे सुदर मेळो भराय छे. राजस्थानना गामे गामथी अढारे ज्ञाति आ मेळामां धर्मबुद्धिले भाग ले छे. ते बधे। प्रताप पू. वयोवृद्ध मुनिश्री मुक्तिविजयजी महाराजनी प्रेरणाने आभारी छे. नदीश्वर तीर्थ कार्यालय, श्री वर्धमान जैन विद्याभवन, श्री नेमिनाथ भगवाननु तथा श्री सीमधर स्वामिनु भव्य मंदिर, श्री महावीर स्वामिनु मदिर तेमज कीर्तिस्तंभ आ बधाथी जालोर तीर्थ जेवुभव्य बन्युछे. अने ज्यां दूरदूरथी यात्रिओ आवे छे. आ स्थान आजे तीर्थभूमि स्वरुप छे. पू पं. कल्याणविजयजी म. ना स्वर्गवास बाद गुरुभक्त पू. मुक्तिविजयजी महाराजे पू. प. म. श्रीना जे जे अधुरा कार्य हतां ते सर्वने तेमणे पुरा कर्या छे, विकसाव्यां छे. अने साथे साथे जैनशासननी प्रभावना वधारी छे. आ ग्रंथ प्रकाशन पण तेमना गुरुप्रत्येनी भक्तिनु परिणाम छे. अमे तेमनो खुब-खुब आभार मानीए छीए. प्रकाशक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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