Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 14
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ११६. पे. नाम. आदिजिन स्तवन, पृ. ३२अ-३२आ, संपूर्ण.
मु. कृष्णविमल, मा.गु., पद्य, आदि: आदिजिणेसर साहिबो; अंति: कृष्णविमल गुण गाय, गाथा-१३. ११७. पे. नाम. जिनराज स्तवन, पृ. ३२आ-३३अ, संपूर्ण. साधारणजिन स्तवन, मु. कृष्णविमल, मा.गु., पद्य, आदि: शिवदायक सेवो सदा नित; अंति: कृष्णैः जिनराय रे,
गाथा-७. ११८. पे. नाम. शेव्रुजगिरिराजऋषभ स्तवन, पृ. ३३अ, संपूर्ण.
आदिजिन स्तवन-शत्रुजयतीर्थमंडन, मु. रत्नविजय, मा.गु., पद्य, आदि: हां जी सारदचरण नमी; अंति: रतन हो नमै
करजोड कै, गाथा-९. ११९. पे. नाम. नेमिजिनधमाल गीत, पृ. ३३अ-३३आ, संपूर्ण.
मु. भावसागर, मा.गु., पद्य, आदि: मास वसंत सोहामणो हो; अंति: भावसागर० सुंमेलो आय, गाथा-११. १२०. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३३आ, संपूर्ण.
मु. नयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: आयो मास वसंत सरस जब; अंति: नयवि० वासी जयो भगवान, गाथा-७. १२१. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. ३३आ-३४अ, संपूर्ण.
मु. उत्तमसागर, पुहिं., पद्य, आदि: यारत खेलन की अब आई; अंति: उत्तमसा०रिधिसिधि होय, गाथा-८. १२२. पे. नाम. नेमिजिन स्तवन, पृ. ३४अ-३४आ, संपूर्ण. ___ मु. कांतिसागर, मा.गु., पद्य, आदि: फागुण मास सोहामणो हो; अंति: कांतिसागर जय जयकार, गाथा-११. १२३. पे. नाम. महावीरजिन स्तवन, पृ. ३४आ, संपूर्ण.
मु. सिंहकुशल, मा.गु., पद्य, आदि: वीर जिणेशर वीनती; अंति: सिंहकुशल सफली थाय के, गाथा-५. १२४. पे. नाम. साधारणजिन स्तवन, पृ. ३४आ, संपूर्ण...
आदिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: प्रीऊडा जिनचरणांनी; अंति: मोहन अनुभव मांगे, गाथा-६. १२५. पे. नाम. पद्मप्रभजिन स्तवन, पृ. ३४आ-३५अ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: पद्मप्रभु तुम सेवना; अंति: मोहन० साचो नेह हो, गाथा-५. १२६. पे. नाम. नाकोडापार्श्व स्तवन, पृ. ३५अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन छंद-नाकोडातीर्थ, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७वी, आदि: अपणैघरि बैठा लील करो; अंति:
समयसुंदर० गुण जोडो, गाथा-८. १२७. पे. नाम. चंद्रप्रभजिन स्तवन, पृ. ३५अ, संपूर्ण.
मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्य, आदि: चंद्रप्रभुनी चाकरी; अंति: मोहन कहै०खेल नवीन हो, गाथा-५. १२८. पे. नाम. वरकाणापार्श्वस्तवन, पृ. ३५अ-३५आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-वरकाणा, आ. जिनभक्तिसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: वरकाणापुर राजीयो; अंति: जिनभक्ति० मनोरथ
माल, गाथा-७. १२९. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. ३५आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, वा. उदयरतन, मा.गु., पद्य, आदि: आप अरुपी होय के; अंति: उदय० पद पंकज सेव हो,
गाथा-७. १३०. पे. नाम. पद्मप्रभजिन स्तवन, पृ. ३५आ-३६अ, संपूर्ण.
पद्मप्रभजिन स्तवन-संप्रतिराजावर्णनगर्भित, मु. कनक, मा.गु., पद्य, आदि: अंति: कनक० भव भव सेवरे, गाथा-९. १३१. पे. नाम. नेमिराजीमती स्वाध्याय, पृ. ३६अ-३६आ, संपूर्ण.
नेमिजिन स्तवन, मु. लावण्यसमय, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीनेमिसर नित नमुं; अंति: लावण्य० नेमजी के, गाथा-१४. १३२. पे. नाम. राजीमति स्वाध्याय, प्र. ३६आ, संपूर्ण.
नेमराजिमती पद, क. जयसोम, मा.गु., पद्य, आदि: पिया मैं बंदी तेरी; अंति: जयसोम० बहुतेरी हो, गाथा-६. १३३. पे. नाम. श्रावकगुण सज्झाय, पृ. ३६आ-३७आ, संपूर्ण.
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