Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 14
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 481
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ४६६ www.kobatirth.org कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २२. पे. नाम. नवकारसार गीत, पृ. १३अ -१४अ, संपूर्ण. नमस्कार महामंत्र छंद, उपा. कुशललाभ, मा.गु., पद्य, वि. १७वी, आदि: वंछितपुरण विविध परे; अंतिः कुशललाभ ० वंचित लहे, गाथा - १७. " २३. पे. नाम. महासती स्वाध्याय पू. १४- १४आ, संपूर्ण. भरसर सज्झाब, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि भरहेसर बाहुबली अभय अंतिः पडओ तिहुअणे सयले, गाथा-१४. २४. पे. नाम. पंचेद्रीविषय सज्झाय, पृ. १४-१५अ, संपूर्ण. ५ इंद्रिय २३ विषय सज्झाय, मु. सुंदर, मा.गु., पद्य, आदि उतपत मानव एह रे अंति: सुंदर एम कहे सहि ए. गाथा- १५. २५. पे. नाम. गजसुकुमाल सज्झाय, पृ. १५ अ - १६अ, संपूर्ण. गजसुकुमालमुनि सज्झाय, मु. सिंहसौभाग्य, मा.गु., पद्य, आदि सोरठ देश मझार; अंतिः सिंघसौभाग्य नामधी जी, गाथा - ३६. २६. पे. नाम. सर्वार्थसिद्ध स्वाध्याय, पृ. १६अ - १६आ, संपूर्ण. सर्वार्थसिद्धविमानवर्णन सज्झाय, मु. गुणविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जगदानंदन गुणनीलो रे; अंतिः पुण्य थकी फ आश रे, गाथा - १६. २७. पे. नाम. अष्टापद स्तवन, पृ. १६आ, संपूर्ण. अष्टापदतीर्थं स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: मनडो अष्टापद मोह्यो, अंतिः समय० बंदणा वार हजारजी, गाथा ५. ५८९८८. (+) सदयवछ सावलिंगा चौपाई, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. १५, प्र. वि. संशोधित, जैदे., ( २४४११, १४४४९). सदयवत्स सावलिंगा उपई, मु. कीर्तिवर्द्धन, मा.गु., पद्य, वि. १६९७, आदि: स्वस्ति श्रीसोहगसुजस अंति कीज्यो दया दयाल, गाथा- ४४७. ५८९९०. कल्याणमंदिर स्तोत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १७३५, मार्गशीर्ष शुक्ल, १५, मध्यम, पृ. १३, प्र.ले. श्लो. (९२८) यादृशं पुस्तकं दृष्टा, जैवे. (२४.५४११, ३x२९) " कल्याणमंदिर स्तोत्र, आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., पद्य, वि. १वी, आदि: कल्याणमंदिरमुदार, अंतिः कुमुद० प्रपद्यंते, श्लोक-४४ कल्याणमंदिर स्तोत्र- टवार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: प्रथम मंगलीक भणी: अंति: सुख प्रतिइ पहुंचइ. ५८९९१. (१) श्रावक अतिचार व सज्झायादि संग्रह, अपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. २०-७ (१ से ७) = १३, कुल पे. १२, प्रा. पं. केसरविजय, पठ श्रावि जेठी बाई, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. अक्षरों की स्वाही फैल गयी है, जैदे., (२३४११, १२x२९). १. पे नाम, आवक अतिचार, पृ. ८अ १५अ, अपूर्ण, पू. वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं. श्रावकपाक्षिक अतिचार-तपागच्छीय, संबद्ध, प्रा., मा.गु., गद्य, आदि: (-); अंति: मिच्छामि दुक्कडम्, (पू. वि. ज्ञानाचार अपूर्ण से है.) २. पे. नाम. श्रावक मनोरथ पू. १५-१६अ, संपूर्ण श्रावक ३ मनोरथ, मा.गु., गद्य, आदि: पहिलो मनोरथ समणोपासण; अंति: ममण मुझनें ज्योहो.. ३. पे नाम, हरियाली गुहली, पृ. १६अ, संपूर्ण. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रहेलिका पद, मु. राज, मा.गु., पद्य, आदि: वनमे तो जाई राज वस्त; अंति: कहो नहीतर देसूं गाली, गाथा- ९. ४. पे. नाम. गुरुगुण भास, पृ. १६अ - १६आ, संपूर्ण. गुरुगुण गहुंली, मु. अमीकुंअर, मा.गु., पद्य, आदि: जी रे मारे देशना दो अंतिः अमीवकुंबर ईन पर भणे, गाधा-८. ५. पे. नाम. महावीरजिन गहुंली, पृ. १६आ-१७अ, संपूर्ण. मु. ऋद्धिसौभाग्य, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीजिनवीर समोसर्या, अंति: पामीजे देवविमान, ६. पे. नाम क्रोधोपरि स्वाध्याय, पृ. १७अ १७आ, संपूर्ण. For Private and Personal Use Only गाथा - ९.

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