Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 14
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.१४
४५३ वसुदेवहिंडी-श्रीकृष्ण चरित्र, संबद्ध, सं., गद्य, आदि: जंबूद्वीपे भरत; अंति: नेमिमोक्षा प्राप्तः. २१. पे. नाम. तीर्थप्रभावनायां कृष्णश्रेणिक कथा, पृ. ४७आ, संपूर्ण.
कृष्णश्रेणिक कथा-तीर्थप्रभावना विषये, सं., गद्य, आदि: अत्रैव भरत मगधदेशेषु; अंति: सिद्धत्वान्नोक्तम्. २२. पे. नाम. दानवेंद्र कथानक, पृ. ४७आ-४८अ, संपूर्ण.
दानवेंद्र कथा-नाट्यविधि, सं., गद्य, आदि: अत्रैव भरतेदेश्य; अंति: विदेहे शिवंगामी गतः. ५८९१०. (+) बृहत्कल्पसूत्र सह टबार्थ, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ४३, प्र.वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ-संशोधित., जैदे., (२३.५४१२, ६४३६). बृहत्कल्पसूत्र, आ. भद्रबाहस्वामी, प्रा., गद्य, आदि: नो कप्पइ निग्गंथाण; अंति: कप्पट्टिई त्तिबेमि, उद्देशक-६,
ग्रं. ६२०.
बृहत्कल्पसूत्र-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, आदि: नो क० न कल्पइ नि०; अंति: उपाश्राना दोष रहित. ५८९११. (+#) पंचप्रतिक्रमणादिसूत्र संग्रह, अपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ४७-६(१६ से १७,३२ से ३५)=४१, कुल पे. १४,
प्र.वि. संशोधित. मूल पाठ का अंश खंडित है, जैदे., (२५४११, १२४३७). १. पे. नाम. पंचप्रतिक्रमणसूत्र-खरतरगच्छीय, पृ. १आ-११आ, संपूर्ण.
संबद्ध, प्रा.,सं., प+ग., आदि: नमो अरिहंताणं नमो; अंति: मिच्छामि दुक्कडं. २. पे. नाम. पगामसज्झायसूत्र, पृ. ११आ-१४अ, संपूर्ण.
हिस्सा, प्रा., गद्य, आदि: चत्तारि मंगलं अरिहंत; अंति: (-), (वि. पत्र खंडित होने से अंतिमवाक्य अचयनीय लिया है.) ३. पे. नाम. वंदित्तुसूत्र, पृ. १४अ-१५आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
संबद्ध, प्रा., पद्य, आदि: वंदित्तु सव्वसिद्धे; अंति: (-), (पू.वि. गाथा ४१ अपूर्ण तक है.) ४. पे. नाम. नमस्कारद्वात्रिंशिका, पृ. १८अ-१८आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र हैं.
जयतिहुअण स्तोत्र, आ. अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, वि. १२वी, आदिः (-); अंति: विण्णवइ अणिंदिय, गाथा-३०,
___ (पू.वि. गाथा १९ अपूर्ण से हैं.) ५. पे. नाम. सप्तस्मरण, पृ. १९अ-२७अ, संपूर्ण. सप्तस्मरण-खरतरगच्छीय, भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा., पद्य, आदि: णमो अरिहंताणं० हवइ; अंति: मंगल कलाण आवासं,
स्मरण-७, (वि. उवसग्गहरं का मात्र प्रतीक पाठ दिया है.) ६. पे. नाम. शांति स्तव, पृ. २७अ-२८अ, संपूर्ण.
लघुशांति, आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांति शांतिनिशात; अंति: सूरिः श्रीमानदेवश्च, श्लोक-१७. ७. पे. नाम. सप्ततिशतजिन स्तोत्र, पृ. २८अ-२८आ, संपूर्ण.
तिजयपहुत्त स्तोत्र, प्रा., पद्य, आदि: तिजयपहुत्तपयासय अठ्ठ; अंति: निभंतं निच्चमच्चेह, गाथा-१४. ८.पे. नाम. नवग्रहस्तुतिगर्भित पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. २८आ-२९अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तोत्र-नवग्रहस्तुतिगर्भित, आ. जिनप्रभसूरि, प्रा., पद्य, वि. १४वी, आदि: दोसावहारदक्खो नालिया; अंति:
जिणप्पहसूरि० पीडंति, गाथा-१०. ९. पे. नाम. भक्तामर स्तोत्र, पृ. २९अ-३१आ, अपूर्ण, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं.
आ. मानतुंगसूरि, सं., पद्य, आदि: भक्तामरप्रणतमौलि; अंति: (-), (पू.वि. श्लोक ४१ अपूर्ण तक है.) १०. पे. नाम. महावीरसमसंस्कृत स्तवन, पृ. ३६अ-३७अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं हैं. महावीरजिन स्तव-समसंस्कृत, आ. जिनवल्लभसूरि, प्रा.,सं., पद्य, आदि: (-); अंति: दृष्टिं दयालो मयि, श्लोक-३०,
(पू.वि. श्लोक १३ अपूर्ण से है.) ११. पे. नाम. महावीर चरित्र, पृ. ३७अ-३९अ, संपूर्ण. दुरिअरयसमीर स्तोत्र, आ. जिनवल्लभसूरि, प्रा., पद्य, आदि: दुरिअरयसमीरं मोहपंको; अंति: सया पायप्पणामो तुह,
गाथा-४४. १२. पे. नाम. नवतत्त्व प्रकरण, पृ. ३९अ-४२अ, संपूर्ण.
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