Book Title: Jo Kare So Bhare
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 9
________________ Buy A 'ठहरो भानजे! लौट आओ। बछड़े घर पहुँच गये हैं। तुम्हारी मां बहुत परेशान है। बाप रे, भागो अकृतपुण्य भागते-भागते जंगल में गुफा के द्वार पर पहुँच गया और सोचने लगा मुझे यहीं बैठ जाना चाहिये। prote 7 अहा अहा हा !!! कितना सुन्दर उपदेश हो रहा है। अब तो मैं धर्म के मार्ग पर लगता हूँ। पाँच पायों का त्याग करता हूँ, दस धर्मो का पालन करूँगा और बारह भावनाओं का चिन्तन करूँगा। अब मुझे कोई भय नहीं। M 105011 गुफा में एक सुनिराज बैठे है। बाहर गुफा का द्वार पत्थरो से ढका है। 14 TON

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