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मुनिराजसेव्रत ग्रहण करके भोगवती अपने घर चली गई और विधिपूर्वक व्रत का पालन करने लगी । एक दिन
कितनासुरवसे मेरा जीवन व्यतीत हो रहा है। मेरी तोयह इच्छा है कि अगर धर्मका कुछ (फल होता है तो इस व्रत के फलस्वरूपये सभीपुत्र (अशोक के पुत्र) और देव (अक्रत
पुण्य काजीव) अगले जन्म में मेरे पुत्र हों।
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अशोक, उसकेसातों पुत्र व भोगवती सब स्वर्ग मे देव हुर. वहांसे मरकर.......
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