Book Title: Jo Kare So Bhare
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 17
________________ मातायलंगको धौरही है।धोते धोते एक पाये का साल निकल गया और उसमेंसे५रत्न निकल पड़े। इसी प्रकार चारों पायों से रत्न निकल पड़े उन रत्नों को लेकर..... 60ON Goooo D DOO पिताअपने पुत्रों के पास गया और...... देखो बेटों! तुम्हारा छोटा भाई ५०० दीनार के बदले कितने रत्न लाया है। पुण्य के उदय से हानि का व्यापार भी लाभ काव्यापार हो जाता है। पुण्य पाप | सेहीलाभव हानि होते हैं। अतः पुण्योपार्जन में लगाना चाहिये। CHAN bn मुझे ये रत्म अपने पास नहीं रखने राजन ये रत्न एक / सेठजी। तुम्हारा पुत्र बड़ा पुण्यवान चाहियें। चलकर राजा को सौंपदेने । पलंग में से निकले हैहै। पुण्यसे ही उसे यह सम्पदा प्राप्तहुई। चाहियें । क्यों कि यदि राजा को पता चम जो कि मेरा घोटापुत्र हे मैं इस धन को नहीं लूंगा। आजर्स / गया तो रवैर नहीं। लोभ बिल्कुल नहीं बाजार से खरीद कर मैने उसका नाम कृतपुण्यरख दिया। करना चाहिये। लाया। सोयह अपने रत्नऔर साथ में कुछ मेरी और सेभी। इस 12280 000 تحمام

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