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एक दिन......
(पिताजी मेरी इच्छा है कि में यमन्ह (कालगुफा) में प्रवेशकसै कृपया आज्ञा दीजियेना
मैं मानता हूँ कि तू पुण्यवान है। तेरा कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता लेकिन लोग तोयही कहेंगे कि लोभी पिता ने धनप्राप्ति के लिये अपने पुत्र को यमगृह में भेज दिया। परन्तु बेटा तेरा आग्रह देखकर मनाभी कैसे करूं।
और धनकुमार पहुंच गया
CEO
यमगृह में
आओयहां विराजो। हमयहां बहुत दिनों से यमराजकुबेर की आज्ञासे यहां बैठे हैं और आपके लियेहीकुछ निधियों की रक्षा कर रहे हैं। कृपया ये निधियां अब आप संभालिये
ताकि हमें छुट्टी मिले।
LILAIHAR
धनकुमार चल पड़ा घरकीओर मार्ग में.
देरवो कितना पुण्यशाली है वह बालक । संसार में जो सुख मिलता है सब पुण्य का ठाठ है। ममालूम इसने क्या-क्या पुण्य कर्म किये होंगे जो यह यमगृह से सकुशल तो लोटा ही और साथ में अमेक निधियां भी मिली।