Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01 Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh View full book textPage 5
________________ - [4] विरोध नहीं होता है। जो बात तीर्थंकर भगवंत फरमाते हैं, उसको श्रुतकेवली (स्थविर भगवन्त) भी उसी रूप में कह सकते हैं। दोनों में अन्तर इतना ही है कि केवली सम्पूर्ण तत्त्व को प्रत्यक्ष रूप से जानते हैं, तो श्रुतकेवली, श्रुतज्ञान के द्वारा परोक्ष रूप में जानते हैं। उनके वचन इसलिए भी प्रामाणिक होते हैं, क्योंकि वे नियमतः सम्यग्दृष्टि होते हैं। वे हमेशा निर्ग्रन्थ प्रवंचन को आगे रखकर ही चलते है। उनका उद्घोष होता है "णिग्गंथं पावयणं अटे अयं परमटे सेसे अणडे" निर्ग्रन्थ प्रवचन ही अर्थ रूप, परमार्थ रूप है, शेष सभी अनर्थ रूप हैं। अतएव उनके द्वारा रचित आगम ग्रन्थ भी उतने ही प्रामाणिक माने जा रहे हैं जितने गणधर कृत अंग सूत्र।.. जैनागमों का वर्गीकरण अनेक प्रकार से किया गया है। समवायांग सूत्र में इनका वर्गीकरण पूर्व और अंग के रूप में मिलता है, दूसरा वर्गीकरण अंग प्रविष्ट और अंग बाह्य के रूप में किया गया है, तीसरा और सबसे अर्वाचीन वर्गीकरण अंग, उपांग, मूल और छेद रूप में है, जो वर्तमान में प्रचलित है। ११ अंग :- आचारांग, सूत्रकृतांग, स्थानांग, समवायांग, व्याख्याप्रज्ञप्ति, ज्ञाताधर्मकथांग, - उपासकदशांग, अन्तकृतदशा, अनुत्तरौपपातिक, प्रश्नव्याकरण एवं विपाक सूत्र। १२ उपांग :- औपपातिक, राजप्रश्नीय, जीवाभिगम, प्रज्ञापना, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, सूर्यप्रज्ञप्ति, चन्द्रप्रज्ञप्ति, निरियावलिका, कल्पावतंसिका, पुष्पिका, पुष्पचूलिका, वृष्णिदशा सूत्र। ४ छेद :- दशाश्रुतस्कन्ध, बृहत्कल्प, व्यवहार और निशीथ सूत्र। ४ मूल :- उत्तराध्ययन, दशवैकालिक, नन्दी और अनुयोग द्वार सूत्र। १ आवश्यक : कुल ३२ प्रस्तुत जीवाजीवाभिगम जो उपांग का तीसरा सूत्र है, इसके रचयिता स्थविर भगवन्त हैं, इसके लिए सूत्र के प्रारम्भ में स्थविर भगवन्तों का उल्लेख करते हुए कहा गया है - . . "इह खलु जिणमयं जिणाणुमयं जिणाणुलोमं जिणप्पणीतं जिणंपरुवियं जिणक्खायं जिणाणुचिण्णं जिणपण्णत्तं जिणदेसियं जिणपसत्थं अणुव्वीइय तं सद्दहमाणा तं पत्तियमाणा तं रोयमाणा थेरा भगवंतो जीवाजीवाभिगम णामज्झयणं पण्णवइंसु।" Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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