Book Title: Jinduttasuri Charitram Uttararddha
Author(s): Jinduttsuri Gyanbhandar
Publisher: Jinduttsuri Gyanbhandar

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Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पंक्ति ३९३|१४| ४०४।२। पृ० श्रीजिनदत्तसूरिचरित्र अशुद्धि शुद्धिपत्रम्. ४०५/१९| ४२४।१। ४४७/१५। ४४९।२२। ४७१।१२। ४९६।५। ४९६।६। ४९७१९१ ४९९।१४। ५०८/२२१ ५१०।१४। ५१५/५/ ५१६।१। ५३०/२/ ५४७/१२/ ,, ।१७१ ५४८|२| www.kobatirth.org ५५४|१८| ५६१।११। अशुद्धि श्री पूज्यनां भाक ३३ विहिण सामाय करे रोगायं तत्पदां ० दु आकरावाली वर्णननका नतिकरः पाटण नगमें श्री० वार्थ उहां पांचपर तत्सप्रदायका शास्त्रधार मुस किसल सुरिजीनेने बजि गोत्रीय Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only शुद्धि श्रीपूज्यानां भावक ३६ विहिणा सामायिक करे रोगायंका तत्पादां वदनेको गये दी आकारवाला वर्णनका न्नतिकराः पाटण नगर में श्री टवार्थ उहां पांचपीर तत्संप्रदायका शास्त्राधार मुसकिल सैं सूरजीने छाजेडगोत्रीय

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