Book Title: Jinabhashita 2009 03
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ अतिशय मूल्यवान् पुरासंपत्ति की यह दुर्दशा देखी, तो उन्हें भारी वेदना का अनुभव हुआ। उन्होंने दि० जैन समाज का ध्यान इस दुर्दशा की ओर आकर्षित किया। आततायी सिंधिया के इस आतंककारी अत्याचार से पीड़ित होने पर भी दि० जैन समाज अभी पूरी तरह जागी नहीं है। तथापि पू. मुनिश्री के संबोधन से समाज ने आँखे मलते हुए एक करवट भर ली है। उसने सिंधिया द्वारा श्रीवर्द्धमानमंदिर के चारों ओर निर्मित दीवार के बाहर एक टैंट लगाकर उसके नीचे जिनेन्द्र भगवान् की एक प्रतिमा स्थापित कर वहाँ प्रतिदिन अभिषेक पजन प्रारंभ किया है। प. मनि श्री के सान्निध्य में मण्डलविधान का भी । गया। इस आयोजन में समाज के लोग अच्छी संख्या में एकत्र हुए थे। किंतु सिंधिया के द्वारा दि० जैन समाज के धार्मिक श्रद्धास्थल पर अतिक्रमण कर समाज की अस्मिता पर किए गए आक्रमण का अभी प्रभावी विरोध नहीं किया गया है। हे दि० जैन बंधुओ! जागो! उठो! और योजनाबद्ध तरीके से आततायी अतिक्रमणकारी के प्रति विरोध प्रकट कर आंदोलन प्रारंभ करो। संकल्प करो कि जब तक हमारे पूजा आराधना के केन्द्र भगवान् महावीर के मंदिर और मूर्तियों को हम अतिक्रमण से मुक्त नहीं करा लेंगे तब तक चैन से नहीं बैठेंगे। इसके लिए ग्वालियर जैन समाज को तीर्थक्षेत्र कमेटी एवं अन्य सभी प्रतिनिधि संस्थाओं के पदाधिकारियों एवं अन्य प्रमुख व्यक्तियों की एक बैठक ग्वालियर में आयोजित कर भविष्य की योजना की रूपरेखा तय करना चाहिए। अभी तक हमने न तो जिलाधीश आदि प्रशासनिक अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों के समक्ष इस अन्याय के प्रति समाज का विरोध प्रकट किया है और न सभाओं एवं जुलूसों द्वारा जनता के सामने सिंधिया का यह आतंककारी कृत्य उजागर किया है। हमारी उदासीनता व निष्क्रियता अत्यंत खेदजनक है। वस्तुतः इस युग में असंगठित और अजागरूक समाज को जीने का अधिकार नहीं है। क्या हमारा स्वाभिमान जागेगा और हम अपने पूर्वजों द्वारा निर्मित हमारी महत्त्वपूर्ण पवित्र पुरासंपदा की सुरक्षा के लिए संगठित और सचेत होकर तुरंत ही ठोस कदम उठायेंगे? मूलचन्द लुहाड़िया 'जिनभाषित' (हिन्दी मासिक) के सम्बन्ध में तथ्यविषयक घोषणा प्रकाशन स्थान 1/205, प्रोफेसर्स कॉलोनी, आगरा - 282002 (उ.प्र.) प्रकाशन अवधि मासिक मुद्रक-प्रकाशक रतनलाल बैनाड़ा राष्ट्रीयता भारतीय पता 1/205, प्रोफेसर्स कॉलोनी, आगरा - 282_002 (उ.प्र.) सम्पादक प्रो. रतनचन्द्र जैन पता ए/2, मानसरोवर, शाहपुरा, भोपाल - 462 039 (म.प्र.) स्वामित्व सर्वोदय जैन विद्यापीठ, 1/205. प्रोफेसर्स कॉलोनी, आगरा - 282002 (उ.प्र.) से मैं, रतनलाल बैनाड़ा एतद् द्वारा घोषित करता हूँ कि मेरी अधिकतम जानकारी एवं विश्वास के अनुसार उपर्युक्त विवरण सत्य है। रतनलाल बैनाड़ा, प्रकाशक -मार्च 2009 जिनभाषित 3 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36