Book Title: Jinabhashita 2009 03
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 27
________________ चाँदी के वर्क की हकीकत श्रीमती मेनका गाँधी (लेखिका पूर्व केन्द्रीय मंत्री हैं) पूरे देश में या इस पृथ्वी पर वर्क का ऐसा कोई टुकड़ा नहीं है, जो मशीन से बना हो बाजार में उपलब्ध चाँदी के वर्क जहरीले ही नहीं, बल्कि कैंसर-कारक भी हैं जिसमें सीसा, क्रोमियम, निकिल और कैडमियम जैसी धातुएँ भी मिली हुई हैं। जब ऐसी धातुएँ शरीर में खाद्य पदार्थ के रूप में जाएँगी, तो निश्चित ही ये कैंसर का कारण बनेंगी। भारत में कानून है कि हर शाकाहारी खाद्यपदार्थ | एक बार सूख जाने के बाद मजदूर इसे 19x15 को हरे चिह्न से तथा मांसाहारी खाद्यपदार्थ को मैरून वर्ग से.मी. के टुकड़ों में काटते हैं। इन्हीं टुकड़ों से चिह्न से चिह्नित किया जाए। यदि कोई निर्माता अपने | थैली बनाते हैं. जिसे 'औजार' कहते हैं और उनका उत्पाद में गलत लेबल लगाकर हेराफेरी करता है, तो | ढेर बनाया जाता है। बाद में यही ढेर एक बड़े चमड़े उसे कई साल की सजा हो सकती है। तो फिर मिठाई- के थैले में भर दिया जाता है, जिसे खोल कहते हैं। निर्माता कानून बनने के बाद से अभी तक गिरफ्तार कैसे अब इस खोल में चाँदी या सोने की बिल्कुल झीनी नहीं किये गए? दूध को शाकाहारी माना जाता है, ताकि | पत्तियाँ रखी जाती हैं। 'औजार' में रखी जानेवाली चाँदी शक्तिशाली डेयरी लॉबी को खुश किया जा सके। लेकिन | की बारीक पत्तियों को 'अलगा' कहते हैं। अब इस हर मिठाई पर लगे वर्क (सिल्वर फॉयल) को हटाए | 'अलगा' को औजार में रखकर फिर खोल में भरा जाता बिना मिठाई को शाकाहारी नहीं कहा जा सकता। । | है। फिर घंटों तक कारीगर लकड़ी के हथौड़े से पीटते व्यूटी विदाउट क्रूअल्टी' नामक पुणे के एक | हैं, जिससे चाँदी के वर्क तैयार होते हैं। इसी वर्क को स्वयंसेवी संगठन ने खाद्य उत्पादों में मिलाए जानेवाले | मिठाई की दकानों पर भेजा जाता है। अवयवों पर एक विशिष्ट पुस्तिका प्रकाशित की है, जो आपको कछ आँकडों की जानकारी होनी चाहिए। पूरे वर्क उद्योग के बारे में बताती है। इस रिपोर्ट में | एक पशु की खाल से केवल 20-25 टुकड़े या एक बताया गया है कि वर्क कैसे बनाया जाता है। वर्क निर्माता | थैली तैयार होती है। हर ढेर में 360 थैली होती हैं। वधशालाओं में जाकर पशुओं का चयन करते हैं। चाहे | एक ढेर से लगभग 30 हजार वर्क के टुकड़े बनते पशु नर हो या मादा, उसका बध करने से पहले यह | हैं, जो एक बड़ी मिठाई की दुकान में आपूर्ति के लिए देखने के लिये उसकी खाल टटोली जाती है कि वह कम ही हैं। एक किलोग्राम वर्क तैयार करने के लिए मुलायम है या नहीं। | 12.500 पशओं की हत्या की जाती है। इसका सीधा अर्थ यह है कि विशेष रूप से इसी हर साल 30 हजार किलो (30 टन) वर्क की उद्योग के काम में लाने के लिये भारी संख्या में भेड़ | खपत केवल मिठाइयों में होती है। यही मिठाई हम सब बकरी और मवेशियों की हत्या की जाती है। हत्या के | खाते हैं। वर्क कम्पनियों द्वारा 2.5 करोड़ ढेरनुमा बुकलेट बाद पशुओं की खाल की गंदगी साफ करने के लिए | बनाई जाती हैं। ये कम्पनियाँ वधशालाओं से अपने बारह दिन तक टंकी में डुबाए रखा जाता है। इसके | सम्पर्कों को गुप्त रखती हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि बाद मजदूर इस खाल को छीलते हैं, जिसे वे 'झिल्ली' इस उद्योग से जुड़े लोग उन्मुक्त तरीके से पशुओं की कह कर पुकारते हैं। खाल की निचली पर्त केवल एक | हत्याओं में लिप्त हैं। हृदय से हर धर्मावलम्बी यह जानता टकडे में ही उतारी जाती है। इन्हीं पर्तों को मुलायम | है कि वर्क मांसाहारी है, लेकिन वह लगातार निर्भीकता करने के लिये एक प्रक्रिया के तहत 30 मिनट तक | से इसका सेवन करता है। विस्मयकारी है कि सभी उबाला जाता है, बाद में सूखने के लिए उसे लकड़ी | प्राणियों पर सभी प्रकार की हिंसा और अमानवीय कृत्यों के तख्तों पर डाल दिया जाता है। का विरोध करनेवाले कत्लखानों से निकली चमड़ी की -मार्च 2009 जिनभाषित 25 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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