Book Title: Jinabhashita 2002 08 Author(s): Ratanchand Jain Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra View full book textPage 8
________________ ४. श्री दिगम्बर जैन पंचायत गुवाहाटी की कार्यकारिणी । जा रही हो, वहाँ उसके निर्माण की प्ररेणा देना मुनियों का कर्त्तव्य की यह सभा भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा की लखनऊ में | है, क्योंकि यह जिनशासन की उन्नति का हेतु है और मुनियों का आयोजित दि. 28-29 जुलाई 2001 की सभा में मुनियों के कार्य जिनशासन की उन्नति करना भी होता है-"आचार्या शिथिलाचार सम्बंधी जो अष्टसूत्री प्रस्ताव पारित किया गया था जिनशासनोन्नतिकरा:"। तथा श्रावकधर्म का उपदेश देना भी मुनियों उस प्रस्ताव का पूर्ण रूपेण समर्थन करती है। का कर्त्तव्य है, जिसमें मन्दिर निर्माण का उपदेश भी शामिल है। तनसुखराय सेठी ( कार्यकारी अध्यक्ष) रतनलाल रारा ( मंत्री) । अत: कोई मुनि यदि मन्दिर निर्माण की केवल प्रेरणा देता है और इस प्रस्ताव का हम अभिनन्दन एवं अनुमोदन करते हैं। मार्गदर्शन करता है, तो वह शिथिलाचारी नहीं है। हाँ, यदि वह यहाँ हम इतना विवेक रखने की आवश्यकता महसूस करते हैं कि इसके लिए स्वयं चन्दा इकट्ठा करता है और उसका स्वयं हिसाब किताब रखता है तथा निर्माणकार्य की स्वयं देख-रेख करता है, तो मन्दिर निर्माण की प्रेरणा को मुनियों के शिथिलाचार में शुमार न यह मुनिधर्म के विरुद्ध है, अत: इस प्रवृत्ति को हतोत्साहित अवश्य किया जाय। जहाँ सामाजिक और ऐतिहासिक दृष्टि से धर्म की किया जाना चाहिए। गुवाहाटी जैन पंचायत को कोटिशः साधुवाद। प्रभावना हेतु मन्दिर आदि के निर्माण की आवश्यकता महसूस की रतनचन्द्र जैन मुनिश्री सुधासागरजी का चातुर्मास बिजौलिया में श्रमण संस्कृति के अन्तर्गत इस संतप्त सृष्टि में अष्ट कर्मों के | अखंड ज्योति की व्यवस्था श्री अशोक पाटनी आर.के. मार्बल्स लि. |विमोचन एवं रागद्वेष कषायों की निवृत्ति से परम सुख की प्राप्ति होती मदनगंज की ओर से घोषित की गई। महाकवि आचार्य 108 श्री है। अहिंसा व्रत के अविरल पालन करने से श्रमण श्रमणता की ओर ज्ञानसागरजी, संत शिरोमणि आचार्य 108 श्री विद्यासागरजी, मुनि बढ़ जाता है। आकुलता, व्याकुलता तथा संक्लेश भावों से दूर रहकर पुंगव 108 श्री सुधासागरजी, यक्षरक्षित सांगानेर के जिनबिम्ब और वे अपनी आत्मा में निहित भावों को जागृत कर लेते हैं और उनका सांगानेर के 1008 आदिनाथ भगवान् के विशाल चित्रों के अनावरण कल्याण हो जाता है। ये उद्गार परमपूज्य मुनि पुंगव 108 श्री सुधासागरजी का सौभाग्य क्रमश: सर्वश्री अशोकजी पाटनी, मदनगंज, गणेशजी महाराज ने श्री दिगम्बर जैन पार्श्वनाथ तीर्यक्षेत्र बिजौलिया में अपने राणा जयपुर, राजेन्द्र श्री गोधा प्रधान सम्पादक"समाचार जगत"जयपुर, चातुर्मास स्थापन के अवसर पर प्रकट किये। आशुतोष गुप्ता जिलाधीश बून्दी एवं बाबूलाल जैन एसपी बून्दी की चारित्र चक्रवर्ती आचार्य 108 श्री शान्तिसागरजी महाराज, धर्मपत्नी ने अर्जित किया। |जिनकी पावन परम्परा में आज श्रमण संस्कृति पुनः जीवित हुई, उनके इस अवसर पर मुनि श्री क्षुल्लकद्वय एवं ब्रह्मचारीजी को विषय में बतलाते हुये मुनिश्री ने आगे कहा कि इन आचार्य श्री ने अपने क्रमश: सर्वश्री चांदमल निर्मलकुमार धनोपिया, भंवरलाल अभयकुमार | मंगल उद्बोधन में कोलकत्ता में कहा था कि जहाँ हवा का प्रवेश हो बेगू, मदनलाल गोधा एवं पद्मकुमार महावीर कुमार कासलीवाल बेगू सकता है, वहाँ दिगम्बर मुनि का प्रवेश हो सकता है तथा पंचम काल द्वारा शास्त्र भेंट किये गये। मुनि श्री ससंघ के आवास हेतु एक संतशाला का निर्माण प्रारंभ हो गया है, जो अतिशीघ्र पूर्ण हो जायेगा के अन्त तक भावलिंगी मुनियों का उद्भव व बिहार होता रहेगा। उन एवं मुनि श्री ससंघ वही विराजेंगे। पर किसी का दबाव नहीं चल सकता और न ही वे किसी की क्षेत्र के भव्य लेमीनेटेड चित्रों का अनावरण भी भँवरलाल अनुकूलता पर निर्भर रहते हैं। पावस काल में साधुगण अपने ध्यान, पटवारी ने किया। आचार्य 108 श्री ज्ञानसागर जी महाराज के चित्र के आत्मसाधना एवं अहिंसा व्रत के परिपालन हेतु एक ही स्थान पर समक्ष श्री गणेश राणा जयपुर ने जिलाधीश एवं श्री अशोक पाटनी के ठहरते है और इस वर्ष मुनि श्री ससंघ ने इस क्षेत्र को अपने चातुर्मास सहयोग से मंगल दीप प्रज्वलित किया। उपर्युक्त सभी के साथ अजमेर, हेतु चुना है। जयपुर, भीलवाडा, केकडी, बून्दी, ब्यावर आदि स्थानों से पधारे मुनि श्री ने क्षुल्लकद्वय 105 श्री गंभीर सागर जी, धैर्यसागरजी गणमान्य अतिथियों का समिति की ओर से माला, तिलक श्रीफल एवं ब्र. संजय भैया के साथ भगवान् 1008 श्री पार्श्वनाथ की तपोभूमि एवं लेमीनेटेड फोटो भेंट कर भावभीना सम्मान किया गया। इस क्षेत्र में शोभायात्रा के साथ मंगल प्रवेश किया। यहाँ पहुँचने पर क्षेत्र के के महामंत्री श्री सुगनचंद शाह ने बतलाया कि चातुर्मास काल में पदाधिकारियों एवं बाहर से पधारे विशिष्ट महानुभावों तथा अपार मुनिश्री का प्रतिदिन मंगल प्रवचन प्रात: 8 बजे से प्रवचन हाल में श्रद्धालुओं ने उनका भावभीना स्वागत किया। कोटा के श्री रिषभ होगा। एवं दोपहर में"राजवार्तिक" का स्वाध्याय एवं समय-समय मोहीवाल के संयोजन में श्री सुगनचन्द्र कैलाशचन्द्र मांडलगढ ने, जो पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे। संभवतया रविवार को मुनि श्री क्षेत्र के महामंत्री भी है, जिलाधीश बून्दी आदि के साथ चातुर्मास हेतु का विशेष मंगल प्रवचन रहेगा। अतिथियों के लिए आवास एवं ध्वजारोहण किया। बाद में मुनि श्री ने धार्मिक क्रियाओं के साथ अपना भोजन की समुचित व्यवस्था है। बिजौलिया का सम्पर्क सूत्र दूरभाष चातुर्मास स्थापित किया। मंगल कलश की स्थापना का सौभाग्य श्री - 01489-36074 है। भंवरलाल पटवारी बिजौलिया ने अर्जित किया एवं इस काल में हीराचन्द्र जैन, सहप्रचार प्रसार संयोजक 6 अगस्त 2002 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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