Book Title: Jina Siddhant Author(s): Mulshankar Desai Publisher: Mulshankar Desai View full book textPage 9
________________ || श्री परमात्मने नमः | ★ जिन सिद्धान्त ★ * मङ्गलाचरण जिन सिद्धान्त जाने बिना, होय न प्रातम ज्ञान । तातें उसको जानकर, करो भेद विज्ञान || जिन सिद्धान्त का ज्ञान प्राप्त किए बिना आत्मा ने अपना अनन्तकाल निकाला तो भी संसार का किनारा देखने में नहीं आया । इसका मूल कारण यह है कि इस जीव ने श्रागम में जो जो निमित्त से कथन किया है, उसका यथार्थभाव न समझने के कारण मिथ्यादर्शन, मिथ्याज्ञान तथा मिथ्याचारित्र में प्रवृत्ति कर अपना समय व्यतीत किया । वाल्यअवस्था में जो जो बातें ग्रहण की जाती हैं, वे बातें बालक अपने जीवन में कभी भी भूल नहीं सकते । इसीलिए चालक अध्यात्म्य ज्ञान की प्राप्ति -Page Navigation
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