Book Title: Jain Vivek Prakash Pustak 11 Ank 05 Author(s): Gyanchandra Yati Publisher: Gyanchandra Yati View full book textPage 6
________________ विदेशी खांडनी भृष्टता खांड बनेछ. खांड साफ करनारा तो कहेशेजके तेमां नांखेलु लोही गाळी लेती वखते नीकळी जायछे पण ए वात तदन खो टीछे. एक नाना ग्लासमां गरम, पाणी भरी तेमां दाणादार खांडना दाणा ओगळवा दइ पाणीमां नीचे जामेली वस्तु सा रा सूक्ष्मदर्शकयंत्रथी जोई तपासवायी खात्री थशे के तळीए बेठेली ए वस्तुमां वांका चुका रक्तबीज एकबीजा साथे जोडाय ला स्फटिकनी पेठे देखाई रहाछ.. रसायनिक परीक्षा करवाथी नणायछे के ए वस्तु जनावरोनां लोहीमा रहेनारी खांड मीठाशनाभाग) ना रेसाछे. खांड साफ करती वखत लोही ना खवाथी सौथी वधारे लाभ ए छे के खांड घणी सस्ती प.छे पण जेने खांडनी सफाइनी दरकार नथी अने खाइने. स्वास्थ्य पणुं कायम राखg होय, तेमणे तो एकला सस्ता पणा उपर ध्यान नहिज आप, एज सारुं छे. दाणादार खांड बनावतां चीतरी चडे छे एठलुंज नहिं पण ते खावाथी तन दुरुस्ती पण बगडे छे. खांडमां एटली बधी अपवित्र वस्तुओ अने नानां नानां जीवजंतु, कीडा, मंकोडानी आंतरडीओ, मांस, खोखां तथा शरीरनी अंदरनी नसो तथा रेसा वगेरे रहेछे के मरजी नहिं छतां पण खास कहेवु पडेछे के विलायती दाणादार खांड कदी कोईए खावा लायक नथी. तेथी अमारी भलामणछे के दुकानोमां वेचाती आवी हलकी अने रोगोत्पा दक खांड कोईए लेवीनहि. एप्रमाणे डाकटर हसल कुत फुड ए न्ड इटस एडल टरेशन (खोराक अने तेमां थती भेळसेळ ) नामना १८५५ मां लंडनमा छपायेल पुस्तकना १७ थी ३१ पानांमां लख्युंछे. ____ डाकटर पेररा कृत १८५६ मां लंडनमा छपायेला 'टीPage Navigation
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