Book Title: Jain Vivek Prakash Pustak 11 Ank 05
Author(s): Gyanchandra Yati
Publisher: Gyanchandra Yati

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Page 14
________________ १२ विदेशी खाँडनी भृष्टता. धर्मने प्राणी पण अधिक समजे छ तेओ अपवित्र परदेशी: खांड कदी वापरता नथी. जरा विचारो ! तमारं सर्वस्व गर्यु तो हवे आ साडा त्रण हाथy शरीर शा कामर्नु ? जे भारत वर्ष नाम बल प्रतापथी विश्वविख्यात थइ रहयो हतो, आपणा ने पूर्वजो धर्मने माटे जीव आपवाने पण नहि अचकाता हता. पण हाल केवो विषम हाल आव्यो छे, धर्मनी केवी अधो गति थइ छे ? हाय हाय आव्यो छे, धर्मने तुच्छ समजी धर्मपर अश्रद्धा करवा लागी छे अने तेथीज तेनी अघोर दुर्दशा थइ रही छे.पण हवे पोतानुं तथा स्वदेशनुं शुभ चाहाता होतो घृणि त, अखाय अनें अपवित्र चीजो तजी यो-हाथ पण नहि लगाडो अने स्वदेशी पवित्र पदार्थो वापरो के जेथी आपणा धर्म उपर कटाक्ष करवानी कोइ हिमत नहि करी शके. लाहोरना पंडित ठाकुरदत्त शर्मा वैये ता. १-१०-०४ ना ' अखबार मनुष्यसुधार , तथा ता. २०.१--०९ ना हितकारी. पत्रमा लख्यं छे के:--प्राचीन वैद्यक ग्रंथोमां लख्यु छ के भ्रष्ट खांड ने शेलडी सिवायना वीजा पदार्थोमांथी बनावाय छे नेना सेवनथी महामारी-प्लेग फैलाय छे. कलकत्तानां नारतमित्र ता ३-६-०५ मां भिषग्वर पंडित शिवराज शर्मा लखेछे के:- प्लेगनां मुख्य त्रण कारणोमां सउथी पहेलं कारण मुंबई थईने आवती विलायती खांड छे. मुंबईनां वेंकटेश्वर समाचार' ता २०-५-०४ मां अछनेरा-आगाना पंडित रामदयाल शर्मा लखेछे के मोरिसनी अपवित्र खांड खा. बाथी गामोमा प्लेग फेलायछे ए बात बुद्धिपण स्वीकार करेछे.के मके सने १८९० पछी विलायती खांड मुंबईमां घणी आववा मांडी अने त्यारथी मुबईमां प्लेग थयो, अने जेम जेम विलाय ती खांडनो वेपार देशनावीना भागमां वधतो गयो तेम तेम प्ले न पण फेला तो गयो. अने ते त्यां सुधी के हाल भारतवर्षनो कोई भाग विलायती खांडथी बच्यो नी तेम प्लेगना सपाटामा

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