Book Title: Jain Vivek Prakash Pustak 11 Ank 05
Author(s): Gyanchandra Yati
Publisher: Gyanchandra Yati

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Page 29
________________ 26 श्वेतां सभ्युदय. महाशयका पधारना दूसरी कोन्फरन्स समय होगा जब इन विषयको पार लगाना हो शकेगा. (२) दूसरा विषय व्यवहार शुद्धीका था. उस्मेभी सम म आचार्योकी सम्मती लेके व्यवस्था करनेका ठराव किया जायगा. जिसके लिए दूसरी कोन्फरन्समे समग्र आचार्योंको पधारनेका आमंत्रण किया जायगा ओर उनके पधारनसे यह चातका नियम बांधा जायगा. (3.)... तीसरा विषय ज्ञानोपकरणादि सुव्यवस्थाके वि यह ठराव हुवा था की पुस्तकादिक परिग्रहो की सुरक्षा कर at परं बेचना नहीं. और एक बड़ीभारी लायब्रेरी करना. इस लायब्रेरीमे रखने के लिए सब यतिमहाशयोने अपने अपने ज्ञा न भंडारोंकी एकेक यादी लिख भेजना, यह यादीयोंका व दूसरे कितनेक पुस्तकों का संग्रह इस लायब्रेरी में रखा जायगा. जो अपनी एक विशेष उन्नतीका कारण गिणा जाग्रा जिसके लिए सब यति महाशयोंका ध्यान अभी चा जाता है की सब यतिमहाशयोंने अपने अपने पुस्तकादिकोक़ी यादी यति कोन्फरन्समे ( यति ज्ञानचंद्रजी के पास ) लिख भे जनेकी कृपा करनी. ( ४ ) चवथा विषयमे यति डायरेक्टरी करनेका ठराव सर्वानुमत पास हुवा था. जिस विषयमे सब यति महाशयका अभी ध्यान खेचा जाता हे की सब यति महाशयोंने अपना अपना ग्राम नाम ठाम ठिकाणा ठाणा स्व शिष्यादि स्व परिग्रहकी नामा बली यात कोन्फरन्सकी ओफीसपर लिख भेजनेकी त्वरा करनी. जो यतिमहाराष अपने अपने पुस्तकोकी यादी लिख

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