Book Title: Jain Vivek Prakash Pustak 11 Ank 05
Author(s): Gyanchandra Yati
Publisher: Gyanchandra Yati

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________________ वार्षिक लवाजम टपालसह एक रुपया तीन आना. सिंगी इन भवनमलजी सिरोही की तरफ से भेट। REGISTERED NO.B 446 हिंदी मासिक प्रत्येक मास प्रगट होता है. जैन विवेक प्रकाश समग्र जैन हितार्थ संपादक और प्रकाशक यति ज्ञानचंद्र पुस्तक पांचवा भाद्रपद अंक ११. एक पंथ दो काज. म यह मासिकके नये ग्राहक होनेवालेको दुप्पट लाभ मिलेगा, जेस की उनोको यदि इच्छा होवेगी तो पंत्र प्रतिक्रमण वा जैन संस्कार के विधि आठ आठ आनेमें दिई जायगी. इतनाहि नही परं उनोकों दोनोंबका टपाल महसूल भी माफ किया जायगा परं पुस्तक देढ रुप्ये के नवी. पी. सें भेज के मासिक लवाजम पहिलेसें वसुल किया, जायगा. याने देढ रुप्येमे अढाइ रुप्येका लाभ होगा जेसा की एक रुप्या तीन आने टपाल सह विवेक प्रकाशके वार्षिक लवाजमका, एक आना वी. भापी. का, एक रुप्या पुस्तकका, चार आना पुस्तक टपालका. अर्थात् नये ग्राहकोंकों मात्र चार आना टपाल फीससे विना मोल एक रुप्येका पुस्तक मिलेगा. जाहिर खबर जैनविवेक प्रकाशक विकी ग्राहकोंको सविनय प्रार्थना हे की यह मासिकका जीवन मात्र लवाजमहे. चालु वर्षका लवाजम जिसने न भेजा होय. उनोने टपाल सह एक रुप्या तीन आने तुरंत हरकोई रीतीसे हमको भेज देना. इनसे एक आनेका फायदा होगा. अगर न भेजेंगे तो आश मासका अंक वी.पी.सें | भेजा जायगा सो स्वीकार लेणा होगा. टपालवालोंकी गलतीसे | जिस्को जो अंकन मिला होय हमको यार्ड लिख मंगाय लेना। " मुंबई-शांति सुधाकर-प्रेस." lelle BIB Selb2 likt । hulk

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