Book Title: Jain Shwetambar Prachin Tirth Gangani
Author(s): Vyavasthapak Committee
Publisher: Vyavasthapak Committee

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Page 8
________________ ॥ श्री धर्मनाथाय नमः || प्राचीन जैन श्वेताम्बर तीर्थ श्री गांगांणी का -: संक्षिप्त परिचय : यह निर्विवाद सिद्ध है कि प्रत्येक जैन मन्दिर प्राचीन जैन संस्कृति, • प्रत्युत्कृष्ट शिल्पकता व जैन समाज की प्रशंसनीय समृद्धि का द्योतक होता है। यह सर्वविदित है कि राजस्थान में जोधपुर से दक्षिण दिशा में करीब २० मील की दूरी पर गांगांणी नामक स्थान है। इतिहास के अनुसन्धान से पाया जाता है कि इस नगरी का प्राचीन नाम अर्जुनपुरी था जिसे धर्मपुत्र अर्जुन ने बसाई थी । उपकेशगच्छ चारित्र नामक संस्कृत साहित्य में जो काव्य ग्रन्थ विक्रम की १४ वीं शताब्दि के लेख में लिखा हुआ है उसके अन्त में गांगांणी के आदर्श मन्दिर का भी उल्लेख है । इतिहास इस बात का साक्षी है कि एक समय वह था जब इस बगही में हजारों जैनी निवास करते थे और बिन शासन की शोभा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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