Book Title: Jain Shwetambar Prachin Tirth Gangani
Author(s): Vyavasthapak Committee
Publisher: Vyavasthapak Committee

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Page 23
________________ [ १८ को निभाते हुए पुण्यापार्जन करें और अधूरे कार्य को पूरा करने में कार्यकर्ताओं के उत्साह में वृद्धि करें। ___ आशा ही नहीं, किन्तु पूर्ण विश्वास है कि समस्त बन्धु इस प्राचीन मन्दिर के दर्शन कर अपनी आत्मा को तृप्त करेंगे और तन, मन, धन, से सहयोग देकर पुण्योपार्जन करेंगे और चंचल माया का सदुपयोग भी करेंगे । यही नम्र प्रार्थना है ___ शासन देवी सबको सद्बुद्धि प्रदान कर धर्म प्रेमियों में तीर्थ प्रेम जागृत करे । यही अभिलाषा है। पत्र व्यवहार करने का पता: भण्डारी मिश्रीमल खैरादियों का मोहल्ला, जोधपुर (राजस्थान) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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