Book Title: Jain_Satyaprakash 1945 02
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 2
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विशेष ज्ञातव्य लेखक-श्रीयुत अगरचन्दजी नाहटा (१) श्री जैन सत्य प्रकाश' के गतांक (क्रमांक ११२) में मुनि कांतिसागरजीका "पांच अप्रकाशित लेख" शीर्षक लेख छपा है । उन लेखोंमेंसे नं. १ बीकानेरके सुप्रसिद्ध मंदिर भांडाशाहकारित सुमतिजिनालयके किल्ले के अन्तर्वर्ती श्रीसीमंघरस्वामीके मन्दिरका है। नं. ३ के लेखवाली क्षमाकल्याण जीकी पादुका भी बीकानेरमें विद्यमान है। नं. ४ वाला लेख बीकानेर रियासतके सरदारशहरके पार्श्वनाथ मंदिर का है। ये तीनों लेख हमारे " बीकानेर जैन लेख संग्रह" नामक ग्रन्थमें शीघ्र ही प्रकाशित होनेवाले हैं। नं. ५ वाला लेख महिमापुरका है ही। महिमापुरके सुविधिजिनालयका निर्माण उपाध्याय श्री क्षमा कल्याणजीके उपदेशसे होनेका शिलालेखमें उल्लेख है। उसके सम्बन्धमें उपाध्याय क्षमाकन्यागके गुरु अमृतधर्मग गीजी अपने 'महिमापुरमंडण सुविधिजिनस्तवन' में इस प्रकार उल्लेख करते हैं श्री महिमापुर मंडण सोहे, प्रभु मंदिर सुरतरु मोहे । देखत ही भवदु.ख विछोहे, वर शिवमंदिर अवरोहे जी ॥५॥ वरस अढारसे पैताले, शुदि माघ मास अजुवालेजी।। इग्यारस दिन चैत्य मझारे, प्रभु पधराये सुविचारेजी ॥६॥ साहिब सुविधि जिनेसरराया, सुरनरपति सेवित पाया । वाचक अमृतधर्म गणीशे, प्रभुगुण गाया सुजगीशेजी ।।७।। (२) इसी अंकमें पृ. मु. श्री. जयंतविजयजीने रौप्याक्षरो कल्पसूत्रकी प्रशस्ति प्रकाशित की है। उसमें प्रशस्तिमें दिये हुए संवत के सम्बन्धमें आपने “समन्मय मुश्केल छ " लिखा है । पर मेरे नम्र मतानुसार उसका समन्वय तत्वयुग शब्दका अर्थ दो वार तत्व (अर्थात् तत्व तत्व) करनेसे हो जाता है । रावगतीर्थके भी अन्य उल्लेख. प्राप्त हैं, जिनके विषयम फिर कभी प्रकाश डालूंगा। સુચના:-માસિક દર અંગ્રેજી મહિનાની પંદરમી તારીખે પ્રગટ થાય છે, તેથી સરનામાના ફેરફારનાં ખબર બારમી તારીખ સુધીમાં અમને જણાવી દેવાં. મુદ્રક:-મગનભાઈ છોટાભાઈ દેસાઈ. શ્રી વીરવિજય પ્રીન્ટીંગ પ્રેસ, સલાપસ ક્રોસરોડ, पो.मा. ना. श्रीमतिमा आर्यावय-अमहावा. ४२४:- यामनदास शाs. શ્રી જૈનધર્મ સત્યપ્રકાશક સમિતિ કાર્યાલય, જેસિંગભાઈની વાડી, ઘી.ટા રોડ-અંમદાવાદ. For Private And Personal use only

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