Book Title: Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Prastavana Author(s): Dalsukh Malvania Publisher: L D Indology AhmedabadPage 34
________________ १. अंग ( ४२ ) (१) आचारांग २६४४, २६५४ , नियुक्ति ४५० , चूणि ८७५० , वृत्ति १२३०० दीपिका (१) ६०००, १००००, १५००० " , (२) ६००० " अवचूरि , पर्याय सूत्रकृतांग २१०० (प्रथम श्रुतस्कन्ध की १०००) , नियुक्ति २०८ गाथा , नियुक्ति मूल के साथ २५८० , नियुक्ति । १२८५०, १३०००, १३३२५, वृत्ति १४००० , हर्षकुलकृत दीपिका (१) ६६००, ८६००, ७१००, ७००० ( यह संख्या मूल के साथ की है) , साधुरंगकृत दीपिका १३४१६ पाश्वंचन्द्रकृत वार्तिक (टबा) ८००० चूरिंग पर्याय (३) स्थानांग ३७७०, ३७५० टीका ( अभयदेव ) १४२५०, १४५०० , सटीक १८००० , दीपिका (नागर्षिगणि) सह १८००० बालावबोध " स्तबक १६००० , पर्याय , बोल (४) समवाय १६६७, १७६७ " वृत्ति ३५७५, ३७०० , पर्याय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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