Book Title: Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Prastavana Author(s): Dalsukh Malvania Publisher: L D Indology AhmedabadPage 37
________________ ४०० (३) भक्तपरिज्ञा गा० १७३, ग्रन्थान १७१ , अवचूरि (४) संस्तारक गाथा १२१ , विवरण , अवचूरि , बालावबोध (५) तंदुलवैचारिक " बालावबोध (६) चन्द्रावेध्यक गाथा १७४, गा० १७५ (७) देवेन्द्रस्तव गा० ३०७, गा० २६२ (८) गणिविद्या गा० ८६, गा० ८५ (९) महाप्रत्याख्यान गा० १४३, गा० १४२ (१०) वीरस्तव गा० ४३, गा० ४२ (११) अंगचूलिका .. (१२) अंगविद्या ६००० (१३) अजीवकल्प गाथा ४४ (१४) आराधनापताका ६६० (रचना सं. १०७८) (१५) कवचद्वार गा० १२६ (१६) गच्छाचार विवृति ५८५० (विजयविमल) , वानरर्षि " अवचूरि (१७) जंबूस्वामिस्वाध्याय , टबा " , (पद्मसुंदर) (१८) ज्योतिष्करंडक " टीका ५५०० १६७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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