Book Title: Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Prastavana Author(s): Dalsukh Malvania Publisher: L D Indology AhmedabadPage 39
________________ । ४७ ) टीका प्रथम खण्ड ( उ० १-३ ) १६८५६ पीठिका २३५५ पीठिका और उ०१ १०८७८ " उ० ३ २५६५ , उ०१० ४१३३ " उ०१-१० ३७६२५ द्वितीय खण्ड १०३६६ , चूणि १०३६० पीठिका २००० , पर्याय (४) दशाश्रुत १३८० , नियुक्ति गा० १५४ , चूणि २२२५, ४३२१,२१६१,२३२५ (?) टीका (ब्रह्म) ५१५२ टिप्पणक " पर्याय कल्पसूत्र ( दशाश्रुत का मंश) १२१६ " संदेहविषौषधि (जिनप्रभ) २२६८ अवचूर्णि , किरणावली (धमंदास) ८०१४ (?) 'प्रदीपिका (संघविजय) ३२०० दीपिका (जयविजय) ३४३२ कस्पद्रुमकलिका ( लक्ष्मीवल्लभ ) अवचूरि टिप्पणक वाचनिकाम्नाय टबा नियुक्ति-संदेहविषौषधिसह ३०४१ वृत्ति ( उदयसागर) टिप्पण (पृथ्वीचन्द्र ) , दुर्गपदनिरुक्ति ४१८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60