Book Title: Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Prastavana
Author(s): Dalsukh Malvania
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 42
________________ ( ५० ) , वृत्ति अवचूरि , , पर्याय टीका ( सुमति ) २६५० टीका ३००० , टीका २८०० , अवचूरि २१४३ टबा ( कनकसुंदर ) १५०० (३) आवश्यक , चैत्यवन्दन-ललितविस्तरा १२७० पंजिका , टबा ( देवकुशल ) ३२५० , वृत्ति ( तरुणप्रभ ) , अवचूरि ( कुलमंडन ) , बालावबोध टबा नियुक्ति २५७२, ३५५०, ३१००, ३३७५, ३१५० ,, पीठिका-बालावबोध , शिष्यहिता ( हरि०) १२३४३ विवृति ( मलय० ) लघुवृत्ति ( तिलकाचार्य ) नियुक्ति-अवचूरि (ज्ञानसागर) ६००५ बालावबोध दीपिका लघुवृत्ति १३००० ,, प्रदेशव्याख्या (हेमचन्द्र) ४६०० (?) ,, विशेषावश्यकभाष्य गा० ४३१४, गा० ३६७२, ग्रन्थान ५०००, गा० ४३३६ ,,, वृत्ति स्वोपज्ञ ,, ,, वृत्ति (कोट्याचार्य) १३७०० , ,» वृत्ति (हेमचन्द्र) २८०००, २८६७६ " , Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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