Book Title: Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Prastavana
Author(s): Dalsukh Malvania
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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( ४४ ) (३) जीवाभिगम ४७००, ५२००
" वृत्ति १४००० , स्तबक
, पर्याय (४) प्रज्ञापना ७६८६, ८१००, ७७८७
टीका १४०००, १५००० , प्रदेशव्याख्या , संग्रहणी
, पर्याय (५) सूर्यप्रज्ञप्ति
, टीका (६) जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति ४४५८, ४१४६
" टीका (हीर०) १४२५२ " , (शान्ति०)
टबासह १५०००
चूर्णि (करण) २०२३, १८२३, १८६०
, विवृति (ब्रह्म) (७) चन्द्रप्रज्ञप्ति २०५८
, विवरण ६५०० (८-१२) निरयावलिका (५) ११०६
, टीका ६०५, ६५०, ७३७, ६३७ " टबा ११०० , पर्याय
,, बालावबोध ३. प्रकीर्णक (१) चतुःशरण गाथा ६३
" अवचूरि
टबा
, विषमपद (२) आतुरप्रत्याख्यान गाथा ८४
, विवरण २५० , टबा
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