Book Title: Jain Pustak Prashasti Sangraha 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 193
________________ जैनपुस्तकप्रशस्तिसंग्रह-१. परिशिष्ट प्रन्यनाम लेखन संवत् क्रमाङ्क पृष्ठाङ्क ग्रन्थनाम लेखन संवत् क्रमाङ्क पृष्ठा " " " (३) १३१९ ६२२२ १२७ धर्मोत्तरटिप्पनक [मल्लवादी आचार्यकृत] १२३१ ६९८ १११ दमयन्तीकथा (चम्पू) [त्रिविक्रमभट्ट धर्मोपदेशमालादिप्रकरणपुस्तिका १३५४ ६२६९ १३४ कृत] १३४४ ६२५९ १३२ धातुपारायणवृत्ति [हेमचन्द्राचार्यकृता] १३०७ ६२०३ १२४ दशवैकालिकसूत्र १२६५६१२३ ११४ नवपदप्रकरण वृत्तिसह - ६४३२ १५३ , , वृत्ति [नियुक्ति-सूत्र ] १२८९६१५५ ११८ , , टीका [देवगुप्ताचार्यकृता] १३२६ ६२२७ १२८ " ,चूणि १४८९९३७० १४६ ___" , लधुवृत्ति ११९२ ६४० १०३ , वृत्ति (१) [हरिभद्र नन्दीसूत्रटीका (१) [मलयगिरिसूरिकृता] १३२६ ६२२५ १२७ कृता] १२९२ ६१६६ ११९ , वृत्ति (२), - १०० ९३ १४८८ ६३६६ १४५ , , , (३), १४८९ ६३७५ १४६ नन्दीदुर्गपदव्याख्या १२२६ ९. ११० ,, (लघु) टीका १२४८६१०९ ११३ नन्द्यध्ययनटीका १४७९ ४९ ४८ ,, वृत्ति सुमतिसूरिकृता] ११८८ ६३२ १०२ नागानन्दनाटक [हर्षकविकृत] १२५८ ११३ ११३ , [सुमतिगणीकृता] १४८८६३६५ १४५ निघण्टुशेष [हेमचन्द्राचार्यकृत] १२८०६१३७ ११६ , , पाक्षिकसूत्र १३५२ ६३३ ३७ निरयावलीसूत्र १४७३ ६३४१ १४३ दशवैकालिकादिसूत्रपुस्तिका (१) १२८४ ६१४२ ११६ निर्भयभीमव्यायोग [ रामचन्द्रकविकृत ] १३०६ ६२०२ १२४ १३७२ ६२८२ १३५ निशीथसूत्रभाष्य ११४६ ६६ ९९ दशाश्रुतस्कंधचूर्णि १३२८६२३४ १२९ " , चूर्णि (१) [जिनदासगणि,,, आदि १४९०६३८५ १४७ महत्तरकृता] १९४५ ६४ ९९ दर्शनशुद्धिप्रकरणविवरण [देवभद्रा " , (२) , १९५७ ६८ ९९ चार्यकृत] १२२४ ६८९ ११० " , " (३) , १३५९ ६२७३ १३४ दानादिप्रकरणसंग्रह १२०३ ६५५ १०५ , (४) , १५४९ ६४१८ १५० देववंदनादिप्रकरणपुस्तिका , , , (५)प्रथमखंड १३३० ६२३७ १२९ १२९०६१५७ ११८ देशीनाममाला [हेमचन्द्रसूरिकृता] १२९८६१९१ १२३ , , , (६) द्वितीयखंड १२९४ ६१७२ १२० नीतिवाक्यामृत [सोमदेवसूरिकृत] १२९० ६१६० ११९ द्रव्यालंकारवृत्ति [रामचन्द्र-गुणचन्द्र नेमिचरित्र [हेमचन्द्रसूरिकृत] कृता] १२०२ ६५४ १०५ , [भवभावनावृत्यान्तर्गत] १२४५ १०६ ११२ व्याश्रयमहाकाव्य [हेमचन्द्राचार्यकृत] - ६४२२ १५१ नैषधमहाकाव्य (1)[श्रीहर्ष. १३३५ ६२४७ १३० कविकृत] १३०५ ६२०१ १२४ , , सवृत्तिक [प्रथमखंड] १४८५६३५२ १४४ १३७८ ६२८५ १३६ , ,, [द्वितीयखंड] १४८६ ६३५३ १४४ १३९५ ६३०१ १३० धनदेव-धनदत्तकथा १३९८६३०३ १३८ न्यायकन्दलीवृत्ति [श्रीधररचिता] १२४२ १०४ ११२ धन्यशालिभद्रचरित्रादिपुस्तिका १३०९ ६२०५ १२५ न्यायकुसुमाञ्जलि निबन्ध [वामेश्वरधर्मरत्रप्रकरण १३२५ ६२२५ १२७ ध्वजकृत] १३४२ ६२५३ १३१ , , वृत्ति १२७१६१२५ ११५ न्यायप्रवेश टीका [हारिभद्रीया] १२०१ ५२ १०५ " , प्रकरणलधुवृत्ति १३०९ ६२०७ १२५ न्यायप्रवेशपंजिका १३१८ ६४१० १५० धर्मविधि ११९० ६३४ १०२ न्यायबिन्दुसूत्रवृत्त्यादि १४९०६३७९ १४६ धर्मविधिवृत्ति [ उदयसिंहाचार्यकृता] १४१८ ८६ ७९ न्यायबिन्दु-लघुधर्मोत्तरटीका १२७४ ६१२९ ११५ १४१८६३११ १३९ न्यायावतार १४८९ ६३७७ १४६ धर्मशर्माभ्युदयकाव्य (१) [हरिश्चन्द्र पउमचरियं ११९८४७ १०४ कृत] १२८७६१४८ ११७ परिग्रहपरिमाणवतप्रकरण ११८६ ३० १०२ परिशिष्टपर्व (१)[हेमचन्द्रा. धर्मसंग्रहणीवृत्ति चार्यकृत] १३२९ १३ १५ धर्माभ्युदयमहाकाव्य १२९० ६१५९ ११९ , (२) " १३९६ ६३०२ १३० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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