Book Title: Jain Pustak Prashasti Sangraha 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
View full book text
________________
जैनपुस्तकप्रशस्तिसंग्रह-९. परिशिष्ट
१७७
८३
९२ वट
१२७
१८
वयजू
३१ व
३३
ललितादेवी ९,१३,१८ वइरा
४२ वाल्हावि लल्लक २६ वइराक
३९,४० वाल्हिवि लल्लिका २६ वइरुह
६५ वाल्ही लवणसिंह १३ वच्छिग ६५ वास्तू
१४ लंबिका
११ वाहड लाखण २९,४५,९८ वज्रसिंह २०,४३,६९,८३ वाहिनी
२६,५४ लाखणदेवी ४३ वड
४ विकमसी लाखा
४८,६९,१४२ | वदक
५५ विक्रमसिंह लाखाक २३,३९,६१,९५ वळू
६५ विजय लाखू ५६ वनराज
४३ विजयकर्ण लाच्छि ६४,८६ | वयज
२३ विजपाल
४२,८२ लाडण १६,१७,१८ वयजा १३,२३,४६,७०,९८ विजमल
१३१ लाडि
१८ विजयपाल
३१,४२,११९ लाबू
वयरसिंह
२३,९७ विजयमति लालण
वयरा
७७,१३९ विजयश्री लाला
वयजल
८६ विजयसिरी लाली
वरणिग
२७,५९ विजयसिंह ५८,५९,७७,१२१ लावण्यसिंह-लूणसिंह
४,३४,३५,५९,८३,८६,८८, विजेसी लाहड ३२,३३,११७,११८,१२०,१२१,
१२७,१३२,१३४ विद्यासिंह १२२,१२३,१३० वरनाग
१०२ | विनयानंद [साधु] लाहिनी वरसिंह
विमलचंद
७२,८८,१३४ लिषा (2) वर्जू
विश्वल
११७ लीलाक
वर्णक १९ | विकल
६९,१११ लीलादेवी १८,७९,१२८ वर्धन
वीकमदे
१४१ लीली-लीलीका ५०,५१,३१ वर्धमान ५२,११०,११३ वीझी
७९,१३९ लीलुका ८६ वल्लण
वीदा लीलू ३१ वसा
४३,९७ वीर
११,२८,३९,६९ लिंबदेव ३१ वसुंधरि
| वीरक
१५,८० लिंबा ४७ वस्तिणि-नी
१६,३९,७६ वीरचंद्र ७,३५,५९,७२,८०,१३२ लींबा
४२,१३९ वस्तुपाल [महामात्य] ९,११९ वीरड लींबाक-लिंबाक ७७,७९,८०,९४
वाग्धन
१८ वीरणाग वाग्भट
वीरदत्त लूणसिंह-लावण्यसिंह ३८,७९,१२३ वाछा
वीरदेव १०,३३,७२,७५,८८,९८ वाछाक
वीरदेवी
३४ लूणाक वाग्छिग
वीरधवल
३३ लोलक-लोलाक वाजक
वीरपाल वाधू
४६ लोहट वानू
वीरमती (मोल्ही-पैतृकनाम) ९८ लोहदेव
वामदेव
६२ | वीरा लोहादेव वारय
वीराक
४२,४९,७७ वालिणि
वीरिका वइज
वालू
३५ वीरी
९,२३,३५,८१,८९ वइजा.
वाल्हवि
१०३ वीरूक वइजी ९. वाल्हाक १६ । वील्ल
१४० २३ जै० पु०
४२,१४१
लूणा
लोली
वीरम
८८
४०,४६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 212 213 214 215 216 217 218