Book Title: Jain Pustak Prashasti Sangraha 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 216
________________ संधुल संपद् संपूर्णसिंह संपूर्णा संभलदेवी संयतिका संसारदेवी साईया साउ साउका साऊ सागर साजण सज्जन साजणदेवी साजिणि साढदेव साढल साढा साढाक साठी साढू सादू साभड साभा-साभाक सामदेव सामंत-सामत सामंतसिंह सायर सारंग सारू सालिग साल्हक साल्हड साल्हण साल्हा - साल्हाक सादु सावदेव साविति सावित्र साइड साहण साहर साहस Jain Education International जैनपुस्तकप्रशस्तिसंग्रह - ९. परिशिष्ट ३साहारण ८४ सांईआ ४६ सांग सांगाक ११ सांगण ४४ सांगा ७४ सांड ५८ सांडा १४४, १४७, १४८ सांताक १६,६५ सांतिका ६३ सांत् ४३,४५,८८ सत्का ६२ सांब १४ शितगुण ४२ | सिद्ध ७७ सिद्धनाग २९, १०३ | सिरिकुमार ८२,११७ सिरियादेवी ११८, ११९,१२० सिरी ६९,३१ सिंगारदे - "देवी ११ सिंघा [ मंत्री ] २९ | सिंधुका ३१ सिंधुल ५६ सिंह-सिंहाक २२,२४,१११ सीटला २२ सीता-शीता १८,३८, ४१, ४२,५६, सीतू ७०, ९२ सीद ९८,२९,१२९ | सीधा ४२ सीधू-सीधुक ४३ सीवा ४२,१४१ सीमंधर २२,७०,७३,७६,८२,९२ सी. ७९,८० सीहड ७०, ३७, १२५ सुहडाक २९,३८,५७,६०,६९,७०,९५ सुहडादेवी ९८ सीहाक [ महं ] १४,११८ | सुखमति ४२,४३,७३,७७, ७८ सुखमिणी ७७ सुगुणा ६५ सुदर्शना १२५ | दसदेवी ६५ | सुभगा ६६ सुभट ३८,४२,८९ | सुभटसिंह ९७ सुमदेव २ सुरलक्ष्मी ११० | सुवर्णनिका - सुवर्णिनी ७२ सुत ८१ सुहवा ५७ सुहागदेवी ७३,१४८ | सुंदरी ७० सूमला ७ सूमा ५६ सुरक २३ सूरा ८० सूराक ६४ सूलण ४,५ णि ७ सूहव ९७ हवदेवी १६ सूहवा ७ सेगा ७३ सेवक सेवाक ७२ सेढा २६ सेव्हण ७० सेवाक ४२,४३,९६ | सेसिका १८ सेहरि सेहरि ११,२२ सोखलदेवी १८ सोची २४ सोखू १२५ सोढक ३५ सोडल १२३, १२४ | सोडू ३७ | सोढुका- सोदूक १६ सोनणी ३९,७० सोनिका ११९ सोभाक १६ सोम १०,१६ सोमदेव ६१ सोमराज ४४ सोमलवा ५५ सोमधी ५५ सोमसिंह ६१ सोमा ७९,८० सोमाक १५ सोलक ७९ सोला For Private & Personal Use Only १७९ ૮૪ ६५ ३७ १२,१३,१९ १४,६० १३,१८,५५,६० ६३,८९ ७७ ९७ ३१ ४२ ८२ २,३ ६८,६९ २५ १०,१२,१८,४९,७०,१८ ७६ ७२ ८०,८१ ७७ ५ १५,१६ ६६ ९ ४२ ७५,७९ २८ ६४ १९ २५,६४ १२, १०७ ३९ ८० ८०,९२ ९,१९,२०,६०,८९, ९५, १३४ ७७ १२,१३ १५ १३७ १३,१६,४०,१३७ ५२,७३ ३६,३७,८१ ८० १६८०,१११ www.jainelibrary.org

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