Book Title: Jain Pustak Prashasti Sangraha 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 213
________________ १७६ यक्ष यक्षदेव यश यशकुमार यशधर यशहड यशोदेव यशोर्णव यशोदेवी यशोधन यशोधर यशोधवल यशोधर यशोनाग यशोभद यशोमति यशोराज यशोराजी यशोवर्धन यशोवीर यशःकर्ण यशश्रन्य यशः पाल यशः श्री योगदेव योधा रणधीर रणभ्रम रणमल्ल रणवीर रणसिंह रतधा य रत् रत्न - रतन रलदेवी - रतनदेवी जैन पुस्तकप्रशस्तिसंग्रह - ९. परिशिष्ट स्तनिका ८६ रती ५३,५४, ७१ र रतनू रयणा देवी ७७ राघव २,३ | राज ९,२५,२९,५४,७१,७५,९६ राजदेव ७० २३ | रंभा Jain Education International राजपाल ११,२२,८७,११४ राजमति १५,२२ राजलदेवी ८,२३,५२,८७ राजश्री ९,२३ राजसिंह ८ राजा १२,१८ | राजाक ५२-८० राजिका ११,१२,५३,६५६६ राजिनी १२ राजी ४ राजीमति ८८,८९ | राजुका २६, ३१ राजू ८ राज्यश्री २६,५९,७२ | राणक २६ राजिका ७ राणिग ६९ राणी ७३ राणू राबा १४८ रामदेव ४० रामसिंह १४ रामाक ४८, १४३ | राहण १४,१६,४२,५९,६१,९३,९७, राल्हाक १३१,१३४ |रादी १८,२५,४२,६४, रावण १४८ राम १४८ | रामचन्द्र १४८ रामदे ६९,७७ रासचन्द्र रखपाल - रतनपाला १३,५६,११७,११९, रासदेव १२१,१२३, १२९ रासल रखी रखसिंह- नसीह - रतनसिंह ३८,७६ | रासलदेविका १८, २७, २९, राइड ५५,७७, ११०, ११२, १२४, १५०, १५२ शंभू ८० | रांवदेव ५१ १६,४७,७३ ७८ २१,३८ २४ रूदा १०९ रूपल ८८,८९,१३६, १५२ रूपला २९,५९ रूपलादेवी ४,५,३८,७७ रूपिणि १३,२७,७३ रूपी ५८, १३६ ९७ ७० रूयड ५३, ५४, ७२ १५ ८६ लक्ष २६ लक्षक लक्षण लक्षणा ६६,९६ लक्षमा ८,१११ लक्षिका ११,८८,९१ लक्ष्मण ३१,५१,५२, ५३ लक्ष्मसिंह १२,१३,१४ मणसिंह रविमणी रुमणी ६४ तस्मिणि-लक्ष्मिणी २९,४२ लमदेवी १३,२९ ८३ ७३ रुरिम ( क्ष्मि ? णी रूडी १२७ १४१ २,१,८,९,१२,५२,७२,१४८ For Private & Personal Use Only ४२,४३ २९६९ ८१,९० २ लक्ष्मीनिका ४४,९५ लक्ष्मीवर लक्ष्मीश्री लखम ७७ लखमा १२६ | लखमाक म समसी खमादेवी ९ खलमिणि ९ लच्छी ३१,१३४ ९४ लडिका ७,३२,१२०, १२२, १२३ ला ९६ ११२ १३,१४,१४,१९, ३९,६४,६६,७१,८० लक्ष्मी ४,५,११,१४,१२,१६,२१,२२, ५२, ५३, ५८,६५,६६,८८,८९,९२, ११ ૪૨ १३८ ४६ ४० ૮૩ ३४,३५,०६,१० ६९ ૮૮ ४७ ૬૪ ૮૪ १६ १३ ૮૮. ६४,८६,९६ ४७ ८५ ३६,७७ ૪. ११४ ८५ १०,४०,५२,८६ ३२ १६,९० ૪૨,૪૨ ૪૪ ६७ २१ १३ १६,६८ १७ १६ ૪ ७७ १४ www.jainelibrary.org

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