Book Title: Jain Pustak Prashasti Sangraha 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 202
________________ पृथ्वीचन्द्र सूरि प्रज्ञातिक सूरि प्रद्युम्नसूर (१) "" (२) प्रभाकर गणी प्रभानन्द सूरि प्रभावती [ मदत्तरा] प्रभुदेव सूरि प्रमाणन्द सूरि प्रसन्नचन्द्र सूरि बंधुमति [ आर्जिका ] बुद्धिसागर [ सूरि ] ब्रह्मचन्द्र गणी भद्रगुप्त सूरि भद्रेश्वर [ सूरि ] भावदेव सूरि भावसुन्दरी [ साध्वी ] भुवनचन्द्र गणी भुवनचन्द्र सूरि भुवनरल सूरि भुवनसुन्दर सूरि भुवनसुन्दरि [ साध्वी ] मणिभद्र [ पण्डित ] मतिप्रभ [ यति ] मदनचन्द्र सूरि मनप्रभ सूरि मदनसुन्दरी [ साध्वी ] मरुदेवी ( १ ) [ गणिनी ] (२) " मलधारी सूरि (?) मलय मरुवकीर्त्ति मलयचन्द्र सूरि मलयप्रथ (?) महिन्द्र [ पण्डित ] महिमा गणिनी महेन्द्र सूरि महेश्वर सूरि माणिक्यचन्द्र सूरि माणिक्यप्रभ सूरि माणिक्य सूरि माणिभद्र [ यति ] मानतुंग सूरि Jain Education International १३७,१५१ | मानदेव सूर ६२,८० मीनाणि [ आर्यिका ] २७,२८,३५ मुनिचन्द्र सूरि ३१ मुनिमेद [ उपाध्याय ] ११० मुनितिक गणी १३७ | मुनिसुन्दर सूरि २८ यतिशेखरसूरि जैन पुस्तक प्रशस्तिसंमह - ६. परिशिष्ट १५१ यशःप्रभ सूरि २१ यशःप्रभाचार्य ५ यशश्चन्द्रसूरि १०५ यशोदेव दि २७ यशोभद्रसूरि १०१ यशोवीर रखतिलक ३२ रतमभावार्थ १४९ २१,६२ रजप्रभ सूरि १५ रत्नसार गणी ९ ११८ रत्नसिंह सूरि रखाकर सूरि राजशेखरसूरि ५० रामकीर्ति [ मुनि ] ७७ १२५ रामचन्द्र [ दि० मुनि ] 33 १०६ [ सूरि ] ८१ रामभद्र सूरि १२८ लक्ष्मीधर [ पण्डित ] १६ लखमी [ साध्वी ] ललितकीर्त्ति १५ ७२ ललितप्रभ सूरि १०१ | ललितसुन्दरि गणिनी १३,११४ | वयरसीह [ पण्डित ] १२८ वयरसेण सूर १२१ | वरनाग गणी ६२ वर्धमान सूरि १५ वादि सूरि १६० वालममति गणिनी 33 ९,१२ ३८,३९,९९ विजयचन्द्र गणी १५१ २७, २८, ३२, ३४ | विजयसिंह सूरि १०३ | विद्याकुमार [ मुनि ] ५२,९३,१५१ विद्याचन्द्र मुनि १५० विद्यानन्द सूरि १५० विचारखगणी 99 33 १२ विबुधप्रभ सूरि ३,३२,४३,१०४ विमलचन्द्रोपाध्याय ५१,५९,७६,८५ विमलप्रभ सूरि १०६ विमल सूरि २० विमाचार्य ३२ | विवेकसिंह सूरि ३०,३५,४५,००,१३९ विशालकीर्ति [ दि० आ० ] १२८ वीरचन्द्रसूरि १८,६०,१५० बीरदेव सूर २३२,११७,१३५,१५० शालिभद्र सूरि शादि सूरि २२ विजयचन्द्र [देवचन्द्रशि० ] [ प्रमाणंदशि० ] ५० विनयकीर्त्ति [ वाचनाचार्य ] १५२ | विनयचन्द्रसूरि १०९ | विनयश्री (१ ) [ गणिनी ] (२) ८० १३६ विजयचन्द्रसूरि १०२ विजयलक्ष्मी [सायी ] २७,२८,५९,११९, १४९ | विजयसिंह [ दि० विद्वान् ] १४६ १०३ ६३ ७० १५० १०८ | शीलगुण सूरि १०३ शीलचन्द्र १६ शीलभद्र २,५,१२,६४,१०९ १३६ १५२ १३२ शीलाचार्य १५ | शुभकीर्त्ति [ दि० आचार्य ] १०९ श्रीचन्द्र सूरि ३१ १०१ १७ शान्तिमुनि शान्ति सुन्दर मुनि शान्ति सुरि शिव रि सूरि २१ १०५ For Private & Personal Use Only ३४,६२,११२,१३६ श्रीप्रभ सूरि श्रीमति गणिनी 5) सर्वाणन्द सूरि सहसमुद्र गणी सहस्रकीर्त्ति [पण्डित ] [ तपाग० ] ३३,९७,११०, सहस्रकीर्त्ति [ दि० राजकुल ] १२२,१२३ तसिरि] [सावी] ५१,१५१ सावदेवसूरि [ कोरण्डग ] १३६ | सिद्ध सूरि O ६३ | सिद्धसेनसूरि [ चन्द्रग० ] सर्वदेव सूरि (9) [ चन्द्र० ] सर्वदेव सूरि (२) सर्वदेवाचार्य १६५ ८३ ८९ ३६,४० १४२ १२६ ६२ ७२ १५१ ६२ १५१ ४० ७५ १०३ ७० ६३ १०० ७८ ५ ७६,८५ ८५ १०८ ३८,७६,१४७ १४९ २५ ११८ ३६ ४४ ६३ १५१ २,८० ५६ ३१ १३७ १०२ १३८ १४२ १२८ ७४ १२६ ४१ ३८,१५२ ३२ www.jainelibrary.org

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