Book Title: Jain Pustak Prashasti Sangraha 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 201
________________ १६४ जैनपुस्तकप्रशस्तिसंग्रह-६. परिशिष्ट १३६ ६२ १५० २८ क्षेमसिंह [व्रती] ८३ जिनपति सूरि १०,८५,८८,८९ देवेन्द्र सूरि २९,३३,३६,५६,७६, गुणचन्द्र [पण्डित] ११९ जिनपन सूरि ४३,६७,११५,१३१ ९७,११७,१२२,१२३,१२७ गुणचन्द्र [वादी, दिगंबर ] ६८ जिनप्रबोध सूरि ८१,१३४ | धनकुमार [गणी] गुणचन्द्र सूरि ८१,११०,१३८ जिनप्रभ सूरि १९,६० धनेश्वर सूरि २९,११३ गुणप्रभ सूरि ८१,१३८ जिनभट सूरि [ सिताम्बराचार्य] ११ धर्मकीर्ति [क्षुल्लक] ११८ गुणभद्र सूरि ___७९,८१ जिनभद्र सूरि १४४,१४८ धर्मघोष सूरि १२,३७,५६,७५,८३,१२९ गुणरत्न सूरि ४०,४३,१४८ जिनभद्राचार्य , [तपा०] ४० गुणवल्लभ [ पण्डित] ११५ जिनमाणिक्य सूरि १५० धर्मदेव सूरि गुणसमुद्र सूरि ६२ | जिनराज सूरि १३३,१४४-१४८ धर्मप्रभ सूरि १३७ गुणाकर [पण्डित] १२१ जिनलब्धि सूरि धर्मरन सूरि गुणाकर गणी [ वाचनाचार्य] १०७ जिनवल्लभ गणी (सूरि) १,५१,१२० | धर्मलक्ष्मी गणिनी १५० चक्रेश्वर सूरि २,३,८,१०९ जिनसमुद्र सूरि | धर्मसूरि चंदनबाला [गणिनी] जिनसागर सूरि १४८ धीरसिंह सूरि चन्द्रकीर्ति गणी जिनसुन्दर सूरि ५० नमसूरि ३१,४०,४१ चन्द्रप्रभ सूरि (1) जिनसुन्दरि गणिनी १५,१६,११८ नरचन्द्र सूरि ७९,११५,१२८,१२९,१३९ , (२) [चन्द्रगच्छीय ] १२४ जिनेश्वर सूरि १,६२,८५,८८-९१,१२० नरदेव सूरि । चन्द्रशेखर सूरि जिनोदय सूरि १३९ नरेश्वर सूरि १२० चारितलक्ष्मी [साध्वी] १३६ ज्ञानकीर्ति गणी २०,१५१ नलिनप्रभा [गणिनी] ११७ चारित्रश्री [ महत्तरा] ज्ञानसागर सूरि ४०,४३,१५० नन्दागणि [साध्वी] १०३ जगञ्चन्द्र सूरि २८,३६,८३ तरुणप्रभ सूरि ११८ निर्मलमति गणिनी २७,२८ जगसुंदरी गणिनी ११४ तिलकप्रभा गणिनी १२६,१३६ नेमिकुमार मुनि १२१ जयकीर्ति सूरि १०३ देमत [ साध्वी] १०३ नेमिप्रभ सूरि १२४ जयचन्द्र सूरि देवकुमार मुनि [पण्डित ] १२१ पद्मचन्द्र [ उपाध्याय ] १३३,१३७ जयतिलक सूरि १४१,१४२,१५० देवगुप्त सूरि ३८ पद्मचन्द्र सूरि [ नागेन्द्रग.] जयदेव उपाध्याय ११५ देवचन्द्र १०२ पद्मतिलक सूरि जयदेव सूरि १६,६२,६९ देवचन्द्र गणी पनदेव जयप्रभ गणी [ उपाध्याय] १४२ देवचन्द्र सूरि २७,११८ पद्मदेव सूरि (1)[मानतु शिष्य ] २८, जयप्रभ सूरि [घोषपुरीय] देवप्रभ गणी [ पण्डित] ११२,११७ जयमंदिर गणी [ उपाध्याय ] देवप्रभ सूरि (१) ,,,,(२)[बहुदेव-विजयसिंहशि०] जयश्री [ महत्तरा] ३४,३५,११२, जयसमुद्र सूरि देवभद्र [ सूरि] ३२,६६,१०४,१२२ पद्मप्रभ सूरि ६१,१२६ जयसागर [महोपाध्याय ] १४४ देवभद्र [ उपाध्याय ] १२३ पद्मप्रभदेव सूरि ११७ जयसिंह सूरि ५६,९२,१५१ | देवभद्र [गणी] ३३,११७,११९,१२१ पद्मलच्छि [ साध्वी ] १३६ जयानन्द सूरि (१) ४०,४१,४२,४६ देवमंगल गणी परमचन्द्र गणी १११ " (२) ११४ देवशेखर गणी परमाणन्द सूरि (1) २,१०९ जसदेव सूरि देवसिरि गणिनी जाहिणी [ संयतिका] ७४ देवसिंह [ व्रती] परमानन्द [ आचार्य] जिणदेवाचार्य १२३ देवसुन्दर सूरि ४०-४४,४६,४८-५०, पासमूर्ति [मुनि ] ३८ जिनकुशल सूरि ६७,१३१,१३७ ५८,६७,६९,७४,८२,९१,९४,१४०, पुण्यतिलक सूरि १५२ जिनचन्द्र सूरि १०,६७,८८,८९,१२७, १४१,१४३ पुण्यमेरु गणी १४८ १३४,१३७,१३८,१४८,१५० १,१२,६९,१३०,१३६ पूर्णचन्द्र सूरि (१) [देवचन्द्रशि०] जिनदत्त सूरि [हरिभद्रगुरु] ११ देवाचार्य ११३ २७,२८ जिनदत्त सूरि [खरतरगच्छीय ] १०,१०१, देवानन्द [ पण्डित ] १५० १०६ देवेन्द्रचन्द्र " , (३) [चन्द्रगच्छ०] १४८ १७ 1 ". १०३ १५० देवसूरि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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