Book Title: Jain Pustak Prashasti Sangraha 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 200
________________ १. परिशिष्टम् । लिखितपुस्तकागतमुनिकुल-गण-गच्छानां नाम्नां सूचिः । ७०,८१,१३९ १५२ ३८ १५१ १५२ आगम गच्छ ६० | जाल्योधर गच्छ ११० | पूर्णिमापक्ष । भागमिक गच्छ १३५ तपा ) ४०,४१,४३,४६-४८,६७, " पक्षीय , अंचल गच्छ १३६ | तपा गच्छ। ६९,७२,८२,९१,९२,१२१, बृहद् गच्छ उपकेश [गच्छ] तपा गण १४१,१४३,१४८ | ब्रह्माण गच्छ उकेश गच्छ तपो गण) ब्रह्माणीय गच्छ कृष्णराजर्षि गच्छ १३७ देवसूरि गच्छ १६० भर्तृपुरीय गच्छ कोरंट गच्छ देवानन्द गच्छ मलधारी [गच्छ] खरतर ९३,१०१,१३१,१३३, देवानन्दित गच्छ राज गच्छ खरतर गच्छ १३४,१३८,१३९,१४४, नागेन्द्र गण वालभ गच्छ खरतर गण ) १४५,१४८ नाणकीय गच्छ विद्याधर कुल ११५ घोषपुरीय गच्छ २१ वृद्धतपा गच्छ | पल्लिका (?) चन्द्रकुल २७,४०,९३ वैरीशाखा चन्द्र गच्छ १२,३१,३२,५९,१३८,१४८ पल्ला ग ३९ संडेर गच्छ,-गण चान्द्र [कुल] ४१,६७ | पल्लीवाल [गच्छ ] ३८ हर्षपुरीय गच्छ १०३ १२९ १३,१४९ १०४ १५० ७६,८५,१२१ ११४ ६. परिशिष्टम् । लिखितपुस्तकोपलब्ध-यति-मुनि-गणि-सूरि-साध्वी-आर्यिका-महतरादित्यागि जनानां नामसूचिः। १५० शाभणी ).अच्छीय) ११३,१४२ ११७ १२१ १३९ भजितदेव सूरि २५,११४ | आनन्दप्रभ सूरि ७७ | कमलसंयम [ उपाध्याय ] अजितप्रभ गणी ११९ | आमदेव सूरि | कमलसिंघ सूरि अजितसिंह सूरि ९,१०७ | आम्रदेव सूरि कम्ह (न्ह ?)रिसि अजितसुंदर गणिनी ११४ आशाप्रभ [मुनि] २२ कल्याणरत्र सूरि अभयकुमार [ पण्डित] १५१ आसचन्द्र [गणी] कीर्तिचन्द्र गणी अभयघोष सूरि ८३ ईश्वरसूरि (१)[षंडरेगच्छीय] ७६,८५ | कीर्तिसमुद्र [ सूरि ] अभयचन्द्र सूरि , (२) [भर्तृपुरीग.] १२९ | कुकुदाचार्य अभयचूला [प्रवर्तिनी] १४० उदयचन्द्र गणी ९९ कुमारगणी [ कवि] अभयदेव सूरि (१) ९,१३१ उदयचन्द्र सूरि १६,६९ | कुलचन्द्र [पण्डित) , (२) ११९ उदयधर्म [ उपाध्याय ] कुलप्रभ सूरि अभयसिंह सूरि (१)[पूर्णिमापक्षीय] ७० | उदयवल्लभ सूरि कुलमण्डन सूरि १३९ उदयश्री [महत्तरा] कुंदकुंद [आचार्य] अमरचन्द्र ११४ उदयसागर गणी १५० कृष्णर्षि अमरप्रभ सूरि ३६,६८० उद्योतन सूरि [ देवानन्दगच्छीय] १०४ | केवलप्रभा [व्रतिनी] ,, मुनि ६. ककुद सूरि १५२ कोट्याचार्य अशोकचन्द्राचार्य ९९ कनकचन्द्र [वाचनाचार्य] १३४ क्षमार्षि आनन्द सूरि .३६,६८ कचकदेव सूरि ७८ क्षेमर्षि १५० १५० २८ . ८५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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