Book Title: Jain Pustak Prashasti Sangraha 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
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२. परिशिष्टम् । लिखितपुस्तकस्थितग्रन्थकाराणां नाम्नामकाराद्यनुक्रमिकसूचिः ।
१०.
१०६
१४८
-
१२३
-
२५|
११९
१३३
अजितप्रभ सूरि ६१,१३६ | बप्पभट्टि सूरि
१०७ विजयसिंह सूरि
१२६ आम्रदेव सूरि |बाण[महाकवि
११६ विजयसिंहाचार्य उदयसिंहाचार्य ७९,१३९ बाणकवि-सन
११६ विजयानंद ककुद सूरि १५२ भद्रेश्वर सूरि १४९ | विनयचन्द्र सूरि
१०. कोव्याचार्य
१,१४७ भावदेव सूरि १९ शान्त्याचार्य
१३१ गुणचन्द्र [मुनि १०५ भूषण भट्टतनय ११४ शान्ति सूरि
१४७ , [गणी]
११२ मम्मटालक १०८ शीलाचार्य
४४,११० गुणरत्न सूरि मलयगिरि सूरि ४८,६७,७२,१०९,११३,
शुभचन्द्र गोविन्द गणि
११७
११८,११९,१२२,१२९,१३३, श्रीचन्द्र सूरि गौडपादाचार्य
१०५ १३६,१४५,१४६,१४८ श्रीधर
११२ चन्द्र सूरि
११५ मलयप्रभ सूरि
श्रीप्रभ सूरि जयकीर्ति १०४ मल्लवादी [आचार्य]
१११
श्रीहर्ष जयराशिभट्ट
महेश्वर सूरि
९९,१२६ सर्वधर उपाध्याय
१०६ जिनदास गणि [महत्तर]
१९ माणिक्यचन्द्राचार्य ५९,१४२ सर्वानन्द सूरि
१३५ जिनभर गणि [क्षमाश्रमण]
मानतुंग सूरि
२५ सिद्धर्षि
५३,५४,१२९ जिनेश्वर सूरि
मुनिचन्द्र सूरि १०१,१३० सिद्धाचार्य
११५ तिलकाचार्य
७३,१३८,१४० यशोदेव (१)
सुमति गणि
१४५ त्रिविक्रम भट्ट
१३२ यशोदेव (२)[सूरि]
सुमति सूरि
१०२ दंडी [ महाकवि]
१००,१०३
रत्नप्रभ सूरि १२०,१३७,१४२ सोमदेव सूरि देवगुप्त १२८
११९ देवचन्द्र सूरि
राजशेखर सूरि १४६ सोमेश्वर
११६ देवप्रभ सूरि राजानक
११७
१०८ हरिचन्द्र देवभद्राचार्य
रामचन्द्र कवि
१०५,१२४ हरिभद् सूरि ७०,९९,१००,१०२,१०५, ५,११० देवेन्द्र सूरि
रामदेव गणि १३४
११०,१२२,१२७ द्रोणाचार्य
११८ वर्धमान सूरि १२९ हर्षकवि
११३,१२४ नरचन्द्र सूरि
१२७ वर्धमानाचार्य
हेमचन्द्र सूरि (1)(मलधारी) १००, नेमिचन्द्र सूरि ८,३०,५५,१००
१३१
१०३,१२४,१२९,१४९, पद्मप्रभ सूरि
१३२ वाक्पतिराज [ कवि] ११७ हेमचन्द्र सूरि (२) १४,२०,२३,२४,४०, पार्श्वगणि १११ वामनाचार्य
५५,८२,९५,११३,१२३,१२४, पृथ्वीचन्द्र सूरि १३६ | वामेश्वरध्वज
१३१
१२७,१३०,१३९,१५१
१४४
१०८
११७
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