Book Title: Jain Jagaran ke Agradut
Author(s): Ayodhyaprasad Goyaliya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 104
________________ और अगर मर जाइये तो.... महात्मा भगवानदीन अर्जुनलाल सेठीको लोगोने भुला दिया। भुला देना हम वडा अच्छा काम समझते है । जो समाज अपने चाँदो, अपने सूर्योको भुलाना नही जानता वह जीना नही जानता। पर चाँद और सूरजको भुलानेके लिए वडी अक्ल चाहिए, वडी हिम्मत चाहिए, वडा त्याग चाहिए और मर मिटनेकी तैयारी चाहिए। तुलसीने हिन्दीमे रामायण लिखकर वाल्मीकिको भुलवा दिया, विनोवाने मराठीमे 'गीताई' नामसे गीताका अनुवाद करके मराठी जानकार जनताके दिलसे संस्कृतकी गीता भुलवा दी, यह कौन नहीं जानता कि युग-युगमे नये-नय आदमी पैदा होकर पुराने आदमियोको भुलाते जाते है। क्या प० जवाहरलालने प० मोतीलाल नेहरूको लोगोके दिलोसे नही भुलवा दिया ? पर इस तरह भुलवाने जानेसे बुजुर्गोको आत्मा नयोको आशीर्वाद देती। पर समाजने अर्जुनलाल सेठीको इस तरहसे कहाँ भुलाया, अगर इस तरहसे भुलाया होता तो अर्जुनलाल सेठीका आत्मा आज हम सबको आशीर्वाद दे रहा होता। ___ अर्जुनलाल सेठी समाजकी ऐसी देन थे, जिनपर चाहे देशके थोड़े ही आदमियोको अभिमान हो, पर उस अभिमानके साथ इतनी तीव्रता रहती है कि जो उस अभिमानमे नही रहती जो करोडो आदमियोमे विखरा होता है । यह किसको पता है कि कितने ही देशके मशहूर घरानोमे जव अर्जुनलाल सेठीकी चर्चा चल पड़ती है तो सबके मुंहसे यही निकल पडता है कि उस-जैसे वातके पक्के आदमीको दुनिया बहुत कम पैदा करती है, और फिर सबके मुंहसे यही निकल पड़ता है कि होता कि हम भी अर्जुनलाल सेठी-जैसे वन सकते।

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