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३८1 प्राचीन इतिहास निर्माण के साधन उस समय के भारत का जितना हाल उसने देखा और सुना, उसको उसने अपनी एक पुस्तक में लिखा था। दुर्भाग्य-वश : वह ग्रन्थ हमें प्राप्त नहीं हुआ है, पर उसके पीछे होनेवाले बहुतसे यूनानी लेखकों ने उस ग्रन्थ से जो कुछ उद्धृत किया है, उसी से हमें मैगस्थनीज़ का भारत-वर्णन का पता चलता है। मैगस्थनीज़ का सम्बन्ध राजदरवार से था; इसलिये उसने नैतिक बातों का जो विवरण दिया है, वह बहुत यथार्थ और विश्वसनीय है, क्योंकि उसकी पुष्टि अशोक के शिलालेखों से एवम् विशाखदत्त के मुद्राराक्षस तथा हाल ही में प्राप्त उसी काल के अति प्रामाणिक ग्रन्थ चाणक्य के ' अर्थशास्त्र' ले होती है । मैगस्थनीज़ ने मौर्यवंशीय राजधानी पाटलीपुत्र, राजा की दिनचर्या, नगर, प्रान्त, गुप्तचर, सेना व न्याय आदि के प्रबन्ध का जो चित्र खींचा है, वह मुख्य-मुख्य बातों में उपर्युक्त ग्रन्थों के समान ही है। पर उसने जो केवल श्रुत बाते ही लिखी हैं, उन्हें पढ़कर आश्चर्य होता है कि मैगस्थनीज़ जैसे सूक्ष्मदर्शी इतिहास-लखक ने ऐसी असम्भव बातों का वर्णन क्यो कर किया! वह लिखता है कि भारत में कई मनुष्य-जातियाँ ऐसी हैं, जिनके मुख नहीं होता, तथा जिनके एक ही आँख होती है। यद्यपि इन बातों का इतिहास से कोई सम्बन्ध नहीं है, तथापि लेखक की सरल विश्वासपरता का परिचय कराने के लिए इन वातों का उल्लेख किया गया है। चूंकि मैगस्थनीज़ की मूल पुस्तक हमें प्राप्त नहीं है, इसलिये यह भी सम्भव है कि ये वाते उसकी रचना से उद्धृत करनेवाले लेखकों ने जनश्रुति के आधार पर जोड़ दी हो।