Book Title: Jain Itihas ki Purva pithika aur Hamara Abhyutthana
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

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Page 38
________________ संयुक्त प्रान्त [७९ की पहुंच के परे होने के कारण व अनेक अंग्रेजी जानने वालों को समयाभाव व साधनाभाव के कारण बहुतायत से साधारण व्यक्तियों के परिचय में नहीं आई है। आवश्यकता है कि वह सब एकत्रित कर सुलभ और सर्वोपयोगी बनाई जावे। संयुक्त प्रान्त। संयुक्त प्रान्त की जैनियों के लिये ऐतिहासिक प्राचीनता और धार्मिक महत्ता बहुत भारी है। यह भूमि इतिहासातीत काल में कितने ही तीर्थकरों के गर्भ, जन्म, तप ज्ञान व निर्वाण कल्याणकों से पवित्र हुई है। 'अयोध्या' पांच तीर्थ करों की जन्म-नगरी है। इस काल के धर्म-नायक जैन-धर्म प्रचारक श्री आदिनाथ भगवान का जन्म इसी नगरी में हुआ था । 'बनारस' में श्री सुपार्श्वनाथ और पार्श्वनाथ तीर्थंकर जन्मे थे । और यहां से निकट ही 'चन्द्रपुरी' चन्द्र प्रभु की व सिंहपुरी (सारनाथ) श्रेयांसनाथ की जन्म भूमि है । 'हस्तिनापुर' की पवित्रता से कौन जैनी अपरिचित होगा। यहां शान्तिनाथ, कुन्थुनाथ व अरहनाथ तीर्थंकरों के गर्म, जन्म, तप और शान चार चार कल्याणक हुए हैं। यहीं के राजा श्रेयांस' ने आदिनाथ भगवान् को सब से प्रथम आहार देकर आहार दान की विधि का प्रचार किया था । 'अहिच्छन ' श्री पार्श्वनाथ भगवान् की वह तपोभूमि है जहां उन्होंने पापी 'कमठ' के घोर उपसगों को सहा था। 'प्रयाग' के विषय में कहा जाता है कि यहां आदिनाथ भगवान् ने तप किया था व यहां से समीप ही जैनियों १ दिगंबर जैन डायरेक्टरी

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