________________
अक्षय कोष मिल गया
१२
___माँ की आँखों में आँसू देखकर कपिल का हृदय द्रवित हो उठा । "माँ, यह सुन्दर एवं विशाल शोभायात्रा देखकर और सब लोग तो खुश हो रहे हैं, तुम रोती क्यों हो? क्या बात है माँ, बताओ मुझे"-कपिल ने माँ से पूछा ।
मां ने बात को टालने की चेष्टा की, पर कपिल का बालहठ जो था, वह पूछता ही रहा । आखिर माँ ने कहा"बेटा ! एक दिन अपने घर से भी इसी तरह जुलस राजदरबार में जाते थे । यहाँ का राजा जितशत्रु तुम्हारे पिता का बड़ा सम्मान करता था, राज-पुरोहित थे तुम्हारे पिता। किन्तु, उनकी मृत्यु के बाद यह पद अपने घर से चला गया। आज यह तेरे पिता के पद पर आए दूसरे पुरोहित की शोभयात्रा देखकर वही बीती याद उभर आई ?"
"माँ, क्या मैं अपने पिता का पद फिर से प्राप्त कर सकता हूँ ?"-कपिल ने पूछा।
"हाँ बेटा, क्यों नहीं ! पर तुम पढ़ो तब न ? अभी तो कुछ पढ़ते ही नहीं हो, खेल - कूद में समय गँवा रहे हो ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org