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(१८) कुलगुरुमाटे करेली मर्यादा. त्यारवाद ते भाणराजाए पूछयु के अमुक आचार्य अमुक माणसनो कुलगुरु छे, एवी खातरी हवेथी शीरीते करवी ? त्यारे ते सर्व आचार्योए मलीने एवी मर्यादा बांधी के, आजथी मांडीने जे कोइ आचार्य जेने प्रतिबोधे, ते आचार्य ते माणसना पत्रआदिक सर्व परिवारनां नामो एक वहीमा लखवा.
कुलगुरुर्चए करेली इतिहास
लखवानी शिरुआत. आवी रीते नामोविगेरे लखपाथी परदेशमा रहेलाने पण खातरी थाय के आ आक गुरुनो श्रावक छे. बळी बीजी एवी पण मर्यादा बांधी के कोइ आचार्य बीजा ग
छना कोइ श्रावने प्रतिबोधी दीक्षामाटे तैयार कर्यो, त्यारे सेना परंपराना कुलशुरुनी आज्ञा लेइने तेने दीक्षा आपवी, परंतु जो कुलगुरू आज्ञा न आपे तो न आपबी, तेमज प्रतिष्टा, संघवीपद तिलक अने व्रतोच्चारआदिक
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